Notes in Hindi

Water Logging

Makhanlal Chaturvedi University / BCA / Environmental Science

Water Logging in Agriculture - Complete Guide in Hindi

Water Logging - Meaning and Causes of Water Logging in Agriculture in Hindi

What is Water Logging in Agriculture?

Water Logging एक ऐसी स्थिति होती है जब किसी खेत या ज़मीन में इतना अधिक पानी भर जाता है कि वहां की मिट्टी में हवा के लिए कोई जगह नहीं बचती। इस स्थिति में पौधों की जड़ें ठीक से सांस नहीं ले पातीं और पौधों की ग्रोथ रुक जाती है या वे मर भी सकते हैं। Water Logging विशेष रूप से उन इलाकों में ज़्यादा देखने को मिलता है जहाँ जल निकासी (Drainage) की उचित व्यवस्था नहीं होती।

Causes of Water Logging in Agriculture

Water Logging होने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  • Heavy Rainfall: जब बहुत अधिक वर्षा होती है और मिट्टी पानी को सोखने में असमर्थ होती है, तो पानी सतह पर इकट्ठा हो जाता है।
  • Poor Drainage System: खेतों में उचित जल निकासी की व्यवस्था न होने के कारण पानी निकल नहीं पाता और जमा हो जाता है।
  • Over Irrigation: कई बार किसान ज़रूरत से ज़्यादा सिंचाई कर देते हैं जिससे मिट्टी में पानी भर जाता है।
  • Flat Land: समतल ज़मीन पर पानी का बहाव कम होता है जिससे वह वहीं रुक जाता है।
  • Seepage from Canals: नहरों से रिसने वाला पानी आसपास की ज़मीन में इकट्ठा हो जाता है।
  • Soil Structure: कुछ प्रकार की मिट्टी जैसे clay soil (चिकनी मिट्टी) पानी को अधिक देर तक रोक कर रखती है जिससे Water Logging की स्थिति बनती है।

Effects of Water Logging on Soil Productivity in Hindi

Impact of Water Logging on Agriculture

Water Logging का खेती पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे न केवल पैदावार घटती है, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है।

  • Oxygen Deficiency: जड़ों को सांस लेने के लिए oxygen चाहिए होती है, लेकिन Water Logging में हवा की जगह पानी भर जाता है जिससे जड़ें suffocate करती हैं।
  • Root Rot: लगातार गीली रहने से जड़ों में गलन (root rot) हो जाती है।
  • Decrease in Crop Yield: पौधे कमजोर हो जाते हैं और फसल की गुणवत्ता तथा उत्पादन क्षमता में कमी आती है।
  • Soil Salinity: लगातार पानी जमा रहने से मिट्टी में salts ऊपर आ जाते हैं जिससे soil salinity बढ़ जाती है।
  • Delay in Farming Activities: जब खेत में पानी जमा होता है तो ट्रैक्टर या मजदूरों का काम रुक जाता है जिससे बुवाई और कटाई में देरी होती है।
  • Decrease in Soil Fertility: मिट्टी में मौजूद जरूरी पोषक तत्व जैसे nitrogen और phosphorus धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं।

Biological Impact on Plants

  • पौधों का विकास धीमा हो जाता है।
  • पत्तियों का रंग पीला पड़ने लगता है।
  • Photosynthesis कम हो जाता है क्योंकि पौधे कमजोर हो जाते हैं।
  • फूल और फल नहीं आते या कम आते हैं।

Methods to Prevent Water Logging in Farming in Hindi

How to Prevent Water Logging in Agriculture?

Water Logging से बचने के लिए कुछ कारगर उपायों का पालन करना बहुत जरूरी है। नीचे कुछ महत्वपूर्ण समाधान बताए गए हैं:

  • Improve Drainage: खेतों में proper drainage channels बनाना चाहिए ताकि पानी निकल सके।
  • Leveling of Fields: ज़मीन को समतल और ढलान के अनुसार बनाना चाहिए जिससे पानी रुकने की बजाय बह जाए।
  • Subsurface Drainage: जमीन के नीचे pipes बिछाकर extra पानी को बाहर निकाला जा सकता है।
  • Avoid Over-Irrigation: उतनी ही सिंचाई करें जितनी फसल को आवश्यकता हो।
  • Use of Raised Beds: खेती ऊँचे क्यारियों (raised beds) पर करनी चाहिए जिससे excess पानी नीचे चला जाए।
  • Plant Water Tolerant Crops: उन crops का चयन करें जो ज्यादा पानी सहन कर सकते हों जैसे rice।
  • Use of Organic Matter: compost और organic material मिलाने से मिट्टी का structure सुधरता है और पानी आसानी से निकलता है।

Technological Interventions

  • Laser land leveling तकनीक का प्रयोग कर खेत को समतल बनाएं।
  • Drip Irrigation और Sprinkler Irrigation तकनीक अपनाएं जिससे जल का अपव्यय न हो।

Case Studies Related to Water Logging in Hindi

Case Study 1: Punjab – South-West Region

पंजाब के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र जैसे मुक्तसर, फाजिल्का और मानसा में नहरों की अधिकता के कारण Water Logging एक गंभीर समस्या बन गई थी। लगातार seepage और over-irrigation के कारण मिट्टी की सतह पर पानी भरने लगा और वहाँ की भूमि अनुपजाऊ होती गई।

समाधान:

  • नहरी प्रणाली की मरम्मत की गई।
  • Subsurface drainage system लगाया गया।
  • Water conserving methods अपनाई गईं।

Case Study 2: Haryana – Gohana Region

हरियाणा के गोहाना क्षेत्र में अधिक सिंचाई और clay मिट्टी के कारण खेतों में लंबे समय तक पानी जमा रहने लगा जिससे फसलों की productivity पर असर पड़ा।

समाधान:

  • Drainage channels बनाए गए।
  • Laser leveling से खेतों को संतुलित किया गया।
  • Organic compost का उपयोग बढ़ाया गया।

Case Study 3: Bihar – Flood-Prone Areas

बिहार में बाढ़ वाले क्षेत्रों में Water Logging आम समस्या है। विशेषकर गंगा और कोसी नदी के किनारे वाले इलाकों में यह समस्या हर साल आती है।

समाधान:

  • Raised bed farming तकनीक का प्रयोग किया गया।
  • Water-tolerant crops जैसे धान और जूट की खेती की गई।
  • Temporary canals बनाकर पानी को निकाला गया।

Final Thought

Water Logging एक ऐसी समस्या है जो सीधे तौर पर कृषि उत्पादन, किसान की आय और मिट्टी की सेहत को प्रभावित करती है। यदि इसे समय रहते रोका न जाए, तो फसलें नष्ट हो सकती हैं और भूमि बंजर बन सकती है। इसलिए Drainage सिस्टम को मजबूत करना, सही सिंचाई पद्धति अपनाना और खेतों की संरचना को सुधरना अत्यंत आवश्यक है।

FAQs

Water Logging एक ऐसी स्थिति होती है जब खेत या ज़मीन में पानी इस कदर भर जाता है कि मिट्टी में हवा के लिए जगह नहीं बचती। इससे पौधों की जड़ें सांस नहीं ले पातीं और फसलें खराब हो जाती हैं।
खेती में Water Logging के मुख्य कारण हैं – Heavy Rainfall, Poor Drainage System, Over Irrigation, Flat Land और Canals से पानी का रिसाव। ये सभी कारण खेतों में पानी जमा होने का मुख्य कारण बनते हैं।
Water Logging से जड़ों में oxygen की कमी हो जाती है, जिससे Root Rot, पौधों की कमजोरी, Yellow Leaves, कम Photosynthesis और अंत में पैदावार में भारी गिरावट आती है।
Water Logging रोकने के लिए खेतों में अच्छा Drainage System, Laser Land Leveling, Subsurface Drainage, Over Irrigation से बचाव और Raised Bed Farming जैसे उपाय अपनाए जा सकते हैं।
भारत में पंजाब (मुक्तसर, फाजिल्का), हरियाणा (गोहाना), बिहार (गंगा-कोसी क्षेत्र) और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाके Water Logging से सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं।

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