Disaster Management – Landslides
Makhanlal Chaturvedi University / BCA / Environmental Science
Disaster Management – Landslides in Hindi
Disaster Management – Landslides in Hindi
Causes and Types of Landslides in Hindi
भूस्खलन (Landslide) एक प्राकृतिक आपदा है जिसमें ज़मीन का एक बड़ा हिस्सा अचानक खिसक जाता है। यह प्रक्रिया बहुत तेज़ हो सकती है और जान-माल की हानि कर सकती है। भूस्खलन तब होता है जब पहाड़ या ढलान पर मौजूद मिट्टी, चट्टान या मलबा नीचे की तरफ बहने लगता है। इसके पीछे कई प्राकृतिक और मानवीय कारण हो सकते हैं।
- भारी वर्षा (Heavy Rainfall): जब किसी क्षेत्र में लगातार या अत्यधिक बारिश होती है, तो मिट्टी की पकड़ ढीली हो जाती है और वह नीचे खिसकने लगती है। यह सबसे सामान्य कारणों में से एक है।
- भूकंप (Earthquake): भूकंप की हलचल ज़मीन को हिला देती है, जिससे चट्टानें और मिट्टी ढीली होकर गिरने लगती हैं। कई बार छोटे झटकों से भी बड़े भूस्खलन हो सकते हैं।
- निर्माण कार्य (Construction Activities): पहाड़ियों में जब सड़कें, घर, या टनल बनाई जाती हैं, तो उससे प्राकृतिक ढांचे में बदलाव होता है और संतुलन बिगड़ता है। इससे भूस्खलन की संभावना बढ़ जाती है।
- पेड़ों की कटाई (Deforestation): पेड़ों की जड़ें मिट्टी को पकड़ कर रखती हैं। जब पेड़ों की अंधाधुंध कटाई होती है, तो मिट्टी की पकड़ कमजोर हो जाती है और भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है।
- अत्यधिक ढलान (Steep Slopes): जिन क्षेत्रों में ढलान बहुत तीव्र होता है, वहां गुरुत्वाकर्षण बल (Gravity) के कारण मिट्टी और पत्थर आसानी से नीचे गिर सकते हैं।
Types of Landslides in Hindi
भूस्खलन के कई प्रकार होते हैं, जो उनकी गति, सामग्री और ढलान के अनुसार वर्गीकृत किए जाते हैं। नीचे कुछ मुख्य प्रकार दिए गए हैं:
- Slump (धीमा खिसकाव): जब ज़मीन का एक हिस्सा धीरे-धीरे गोलाकार रूप में नीचे की ओर सरकता है, तो इसे स्लंप कहा जाता है। यह आमतौर पर गीली मिट्टी में होता है।
- Rockfall (चट्टान गिरना): यह तब होता है जब चट्टानें सीधे ऊपर से नीचे गिरती हैं। यह तेज़ और खतरनाक होता है और पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक आम है।
- Debris Flow (मलबे का बहाव): इसमें चट्टानें, मिट्टी, पेड़ और अन्य मलबा पानी के साथ मिलकर तेज़ी से नीचे बहता है। यह अक्सर भारी बारिश के बाद होता है।
- Earthflow (मिट्टी का बहाव): यह तब होता है जब गीली मिट्टी धीरे-धीरे नीचे की तरफ बहने लगती है। यह गति में धीमा हो सकता है लेकिन बड़ा प्रभाव डालता है।
Areas Vulnerable to Landslides and Case Studies in Hindi
भारत में कई ऐसे क्षेत्र हैं जो भूस्खलन के लिए संवेदनशील (Vulnerable) माने जाते हैं। ये क्षेत्र आमतौर पर पहाड़ी या अधिक वर्षा वाले होते हैं।
- हिमालय क्षेत्र (Himalayan Region): उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और सिक्किम जैसे राज्य भूस्खलन के लिए सबसे अधिक संवेदनशील हैं।
- पूर्वोत्तर भारत (North-East India): असम, मणिपुर, मेघालय और नागालैंड जैसे राज्य भी भारी बारिश और ढलानों की वजह से भूस्खलन प्रभावित हैं।
- पश्चिमी घाट (Western Ghats): केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी मानसून के समय भूस्खलन की घटनाएं देखने को मिलती हैं।
कुछ प्रमुख Case Studies:
| स्थान (Location) | वर्ष (Year) | विवरण (Details) |
|---|---|---|
| मालपा, उत्तराखंड | 1998 | भारी बारिश के कारण भूस्खलन हुआ जिसमें लगभग 200 लोगों की मृत्यु हो गई। |
| कोसीकल, केरल | 2018 | भारी मानसून वर्षा से पश्चिमी घाट में मलबा बहाव हुआ जिससे कई गाँव प्रभावित हुए। |
| जोशीमठ, उत्तराखंड | 2023 | जोशीमठ शहर में ज़मीन धंसने और दीवारों में दरारें आने से भूस्खलन की स्थिति बनी। |
Prevention and Mitigation of Landslides in Hindi
भूस्खलन को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ उपायों से इसके खतरे को कम किया जा सकता है। इसे "Mitigation" कहा जाता है।
- वनरोपण (Afforestation): पेड़ लगाकर मिट्टी को स्थिर किया जा सकता है। पेड़ की जड़ें मिट्टी को पकड़ कर रखती हैं और जल बहाव को रोकती हैं।
- Slope Stabilization (ढलानों की मज़बूती): इंजीनियरिंग तकनीकों से ढलानों को मज़बूत किया जाता है, जैसे - सीमेंट की दीवारें, रिटेनिंग वॉल्स आदि।
- Proper Drainage System: बारिश के पानी को निकालने के लिए अच्छे नालों की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि पानी मिट्टी में न घुसे।
- Early Warning System: संवेदनशील क्षेत्रों में मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए जाएं जो समय पर भूस्खलन की चेतावनी दे सकें।
- अवैध निर्माण पर रोक: पर्वतीय क्षेत्रों में बिना योजना के निर्माण कार्य भूस्खलन को बढ़ावा देते हैं, इसलिए निर्माण कार्य को नियोजित करना आवश्यक है।
Rescue and Relief Operations During Landslides in Hindi
जब भूस्खलन हो जाता है, तो तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू करना ज़रूरी होता है। इसके लिए कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठन मिलकर काम करते हैं।
- NDRF (National Disaster Response Force): यह एक विशेष बल है जो आपदाओं में बचाव कार्य करता है। भूस्खलन के समय NDRF सबसे पहले मौके पर पहुँचकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाती है।
- स्थानीय प्रशासन: स्थानीय पुलिस, जिला प्रशासन और चिकित्सा टीमें घायलों को मदद देती हैं और राहत शिविरों की व्यवस्था करती हैं।
- Helicopter Rescue: पहाड़ी क्षेत्रों में जब ज़मीन के रास्ते बंद हो जाते हैं, तब हेलीकॉप्टर के ज़रिए राहत सामग्री पहुँचाई जाती है।
- NGOs and Volunteers: बहुत सारे स्वयंसेवी संगठन (Volunteers) भी राहत कार्यों में भाग लेते हैं, जैसे खाने का वितरण, प्राथमिक चिकित्सा और शरण स्थल प्रदान करना।
- Medical Assistance: घायलों के लिए मोबाइल मेडिकल यूनिट्स बनाई जाती हैं जहाँ पर डॉक्टर और नर्स प्राथमिक उपचार करते हैं।