Mining and Its Impact
Makhanlal Chaturvedi University / BCA / Environmental Science
Mining and Its Impact in Hindi
Mining and Its Impact in Hindi
Definition and Types of Mining in Hindi
खनन (Mining) का मतलब होता है धरती की सतह से नीचे छिपे हुए खनिज (minerals) या अन्य उपयोगी पदार्थों को निकालना। इन खनिजों में कोयला (Coal), लोहा (Iron), बॉक्साइट (Bauxite), तांबा (Copper), सोना (Gold), चूना पत्थर (Limestone) आदि शामिल होते हैं। इनका उपयोग बिजली बनाने, उद्योगों में मशीनरी, भवन निर्माण और रोजमर्रा के कई कार्यों में किया जाता है।
खनन के प्रकार (Types of Mining) मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:
- Surface Mining (सतही खनन): इसमें धरती की ऊपरी सतह से खनिजों को निकाला जाता है। यह विधि आसान होती है क्योंकि इसमें गहराई तक नहीं जाना पड़ता। उदाहरण - ओपन पिट माइनिंग, स्ट्रिप माइनिंग।
- Underground Mining (भूमिगत खनन): इसमें खनिजों को धरती की गहराई में जाकर निकाला जाता है। यह प्रक्रिया कठिन और महंगी होती है। इसमें सुरंगों (tunnels) का निर्माण किया जाता है।
इसके अलावा, खनन को इन आधारों पर भी वर्गीकृत किया जाता है:
- Small Scale Mining: छोटे पैमाने पर कम संसाधनों और तकनीक से किया जाने वाला खनन।
- Large Scale Mining: बड़े उद्योगों द्वारा बड़े क्षेत्र में किया जाने वाला खनन।
Impact of Mining on Forests and Wildlife in Hindi
खनन का सबसे बड़ा प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है, विशेष रूप से जंगलों (forests) और वन्य जीवों (wildlife) पर। नीचे इसके प्रभाव विस्तार से बताए गए हैं:
- जंगलों की कटाई: खनन शुरू करने से पहले उस क्षेत्र के पेड़-पौधों को साफ किया जाता है जिससे जैव विविधता (biodiversity) खत्म होती है।
- वन्य जीवों का विस्थापन: जानवरों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाने से वे दूसरे क्षेत्रों में भाग जाते हैं या मर जाते हैं।
- पानी के स्रोतों पर असर: खनन से नदियों, झीलों और भूमिगत जलस्रोतों में मिट्टी, रसायन व धातु घुल जाते हैं जिससे जल प्रदूषण होता है।
- ध्वनि और वायु प्रदूषण: मशीनों के शोर और धूल से वन्य जीवों की सुनने, देखने और जीने की क्षमता प्रभावित होती है।
- प्राकृतिक आपदाएँ: पेड़ों की कटाई और भूमि की खुदाई से मिट्टी का कटाव, भूस्खलन (landslide) और बाढ़ जैसी समस्याएँ बढ़ जाती हैं।
Social and Health Hazards of Mining in Hindi
खनन सिर्फ पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि समाज और लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी एक गंभीर खतरा है। इसके सामाजिक और स्वास्थ्य से जुड़े प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- स्थानीय लोगों का विस्थापन: जब खनन किया जाता है, तो आसपास के गाँव और लोग उस क्षेत्र से हटा दिए जाते हैं जिससे उनकी आजीविका और जीवन पर असर पड़ता है।
- श्रमिकों का शोषण: खनन क्षेत्र में मजदूरों को कम वेतन, कठिन परिस्थितियों में काम और उचित सुरक्षा नहीं दी जाती।
- स्वास्थ्य संबंधी बीमारियाँ: खनन से पैदा होने वाली धूल और जहरीली गैसें जैसे सिलिका डस्ट (silica dust), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) आदि से साँस संबंधी बीमारियाँ होती हैं जैसे – सिलिकोसिस, अस्थमा, टी.बी.।
- पानी की कमी: खनन से भूजल स्तर (groundwater level) नीचे चला जाता है जिससे आसपास के क्षेत्रों में पानी की कमी हो जाती है।
- सामाजिक संघर्ष: खनन कंपनियाँ जब बिना स्थानीय लोगों की अनुमति के काम शुरू करती हैं तो सामाजिक विरोध और हिंसा भी हो सकती है।
Case Studies of Mining Affected Areas in Hindi
यहाँ भारत के कुछ प्रमुख खनन प्रभावित क्षेत्रों का वर्णन किया गया है जहाँ Mining के कारण पर्यावरण और लोगों को भारी नुकसान हुआ है:
- झारखंड – कोयला खनन: धनबाद और बोकारो जैसे क्षेत्र कोयला खनन के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ की भूमि में हर जगह गड्ढे और धूल है, जिससे वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण बहुत ज़्यादा है। स्थानीय लोगों में टी.बी. और त्वचा रोग आम हैं।
- ओडिशा – बॉक्साइट और लौह अयस्क खनन: क्योंझर और सुंदरगढ़ जिलों में बड़े पैमाने पर खनन हो रहा है। इसने स्थानीय जनजातियों के जीवन को प्रभावित किया है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और पानी की कमी ने क्षेत्र को अस्थिर बना दिया है।
- छत्तीसगढ़ – लौह अयस्क और कोयला खनन: बस्तर क्षेत्र में Mining के कारण वहाँ के जंगल, जल स्रोत और जनजातीय जीवनशैली खतरे में हैं। यहाँ नक्सलवाद जैसी सामाजिक समस्याएँ भी Mining से जुड़ी हैं क्योंकि स्थानीय लोगों को उनका अधिकार नहीं मिलता।
- गोवा – लौह अयस्क खनन: गोवा में Mining से नदियाँ प्रदूषित हुईं और पर्यटन पर भी असर पड़ा। वहाँ की एक प्रमुख नदी ज़ुआरी में भारी धातुओं की मात्रा बहुत बढ़ गई है जिससे जलीय जीवन प्रभावित हुआ है।
Mining से जुड़े महत्वपूर्ण आंकड़े और तथ्य:
| राज्य | मुख्य खनिज | प्रमुख समस्याएँ |
|---|---|---|
| झारखंड | कोयला, लोहा | धूल प्रदूषण, विस्थापन |
| ओडिशा | बॉक्साइट, मैंगनीज | जंगलों की कटाई, पानी की कमी |
| छत्तीसगढ़ | लोहा, कोयला | आदिवासी जीवन प्रभावित |
| गोवा | लोहा | नदी प्रदूषण, पारिस्थितिकी पर असर |
सरकार द्वारा उठाए गए कदम
- Environmental Clearance: खनन शुरू करने से पहले Environmental Impact Assessment (EIA) जरूरी किया गया है।
- Compensatory Afforestation: पेड़ों की कटाई के बदले नए पेड़ लगाने की योजना लागू की गई है।
- Pollution Control Board: हर राज्य में Pollution Control Board बनाया गया है जो प्रदूषण पर नजर रखता है।
- District Mineral Foundation (DMF): खनन क्षेत्र में विकास और जनकल्याण के लिए फंड तैयार किया गया है।
छात्रों के लिए अध्ययन के महत्वपूर्ण बिंदु
- खनन के प्रकार और उनकी प्रक्रिया को समझें।
- प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण क्यों ज़रूरी है, यह जानें।
- Mining के सामाजिक, स्वास्थ्य और पारिस्थितिकीय प्रभावों को विस्तार से जानें।
- Case Studies के माध्यम से क्षेत्रीय प्रभावों को समझें।
- सरकारी प्रयासों और नीतियों को ध्यान में रखें।