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Major Features of Water Pollution Control Act in Hindi

Makhanlal Chaturvedi University / BCA / Environmental Science

Water Pollution Control Act – Detailed Guide in Hindi

Water Pollution Control Act – Detailed Guide in Hindi

Major Features of Water Pollution Control Act in Hindi

जल प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1974 (Water Pollution Control Act) भारत का पहला व्यापक कानून है, जिसका मुख्य उद्देश्य देश के surface water और groundwater संसाधनों को प्रदूषण से बचाना तथा उनकी गुणवत्ता को बनाए रखना है। इस अधिनियम के कुछ प्रमुख फीचर नीचे सरल शब्दों में दिए जा रहे हैं, ताकि beginners भी आसानी से समझ सकें।

  • Comprehensive Definition (व्यापक परिभाषा): “प्रदूषक (pollutant)” और “प्रदूषण (pollution)” को बहुत विस्तृत तरीके से परिभाषित किया गया है, जिससे industrial discharge, घरेलू अपशिष्ट और रासायनिक द्रव सब शामिल हो जाते हैं। इससे कानूनी कवरेज मजबूत होती है और कंपनियों को किसी भी loophole का सहारा नहीं मिलता।
  • Consent Mechanism (अनुमति प्रणाली): किसी भी industry या municipality को नदी, झील अथवा भूमिगत जल-स्रोत में effluent छोड़ने से पहले State Pollution Control Board (SPCB) से “Consent to Establish” और “Consent to Operate” लेना अनिवार्य है। इसका लक्ष्य स्रोत पर ही प्रदूषण रोकना है।
  • Sample Collection & Analysis (नमूना जाँच): अधिकृत अधिकारी बिना पूर्व सूचना के surprise inspection कर सकते हैं, sample ले सकते हैं और उन्नत laboratory testing द्वारा यह प्रमाणित कर सकते हैं कि उत्सर्जन मानक से अधिक है या नहीं।
  • Penal Provisions (दण्ड प्रावधान): अधिनियम के उल्लंघन पर imprisonment के साथ-साथ जुर्माना भी लगाया जाता है, जिसे Environmental Compensation के रूप में वसूला जाता है, ताकि प्रदूषक “polluter pays” सिद्धांत के अंतर्गत लागत वहन करे।
  • Emergency Measures (आपात कदम): यदि किसी इकाई के कारण imminent danger उत्पन्न होता है, तो SPCB अथवा Central Board तुरंत सेवाएं बंद करा सकता है और आवश्यकतानुसार पुलिस सहायता मँगवा सकता है। यह प्रावधान जीव-जंतुओं एवं इंसानों दोनों की सुरक्षा करता है।

Role of Authorities under Water Pollution Act in Hindi

अधिनियम के सफल क्रियान्वयन के लिए CPCB (Central Pollution Control Board) तथा राज्य-स्तरीय SPCBs को statutory authority प्रदान की गई है। उनके दायित्व (roles) को नीचे step-by-step समझाया गया है।

  • Central Pollution Control Board (CPCB):
    National water quality standards निर्धारित करता है।
    • विभिन्न राज्यों की SPCB को तकनीकी सहायता एवं funds उपलब्ध कराता है।
    • अंतर-राज्यीय नदियों पर निगरानी तथा विवाद निवारण करता है।
  • State Pollution Control Board (SPCB):
    • स्थानीय effluent मानक तय करता है, जो राष्ट्रीय मानक से सख्त भी हो सकते हैं।
    Industrial clusters का compliance audit करता है और मासिक रिपोर्ट CPCB को भेजता है।
    • आम जनता से grievances प्राप्त कर त्वरित समाधान की व्यवस्था करता है।
  • Joint Committees (संयुक्त समितियाँ): जहाँ नदी या झील दो या अधिक राज्यों को प्रभावित करती है, वहाँ संयुक्त समिति बनती है, जो समन्वित कार्यवाही कर सकती है, जैसे common effluent treatment plants (CETP) की स्थापना।
  • District & Town Authorities (स्थानीय प्राधिकरण): नालों तथा sewage treatment plants (STP) का संचालन देखती हैं और नागरिक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाती हैं, जैसे “नदियों में plastic मत फेंको”।

Effects of Water Pollution Act on Water Bodies in Hindi

अधिनियम लागू होने के बाद भारत के कई प्रमुख जल निकायों पर सकारात्मक प्रभाव दिखाई दिए। नीचे कुछ प्रमुख बदलावों को सरल बिंदुओं में समझिए।

जल निकाय प्रमुख सुधार (Before → After) विशेष टिप्पणी
Ganga (Varanasi stretch) Biochemical Oxygen Demand 6 mg/L → 3 mg/L नए STP से घरों का सीवेज रोका गया
Sabarmati (Ahmedabad) Foaming events 18/yr → 2/yr CETP का नियमित अपग्रेड
Naini Lake (Nainital) Transparency 1.3 m → 3 m ठोस अपशिष्ट हटाने का विशेष अभियान

उपर्युक्त आँकड़े दर्शाते हैं कि निरंतर मॉनिटरिंग, consent mechanism और सामुदायिक भागीदारी से जल-गुणवत्ता अधिक पारदर्शी एवं स्वच्छ हुई है। इसके अतिरिक्त—

  • Aquatic Life Recovery (जलीय जीवन में सुधार): कई नदियों में indigenous fish प्रजातियाँ वापस दिखाई देने लगीं, जो पानी की गुणवत्ता के सीधे संकेतक हैं।
  • Public Health Benefit (सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभ): Water-borne diseases जैसे टाइफॉयड एवं dysentery के मामलों में कमी आई, क्योंकि पेयजल स्रोत कम प्रदूषित हुए।
  • Economic Boost (आर्थिक प्रभाव): साफ नदियों के किनारे eco-tourism को बढ़ावा मिला, जिससे स्थानीय रोजगार पैदा हुए।

Issues Faced in Enforcement of Water Pollution Act in Hindi

यद्यपि अधिनियम मजबूत है, फिर भी implementation में कई चुनौतियाँ सामने आती हैं। नीचे प्रमुख समस्याएँ विस्तार से बताई जा रही हैं, साथ-साथ सरल समाधान भी सुझाए गए हैं।

  • Funding Gap (वित्त अभाव): अनेक SPCB के पास आधुनिक monitoring devices या पर्याप्त लैब सुविधा नहीं होती। इस कारण नमूने देर से जांचे जाते हैं और दोषी इकाइयाँ कार्रवाई से बच जाती हैं।
    Solution: Green cess को राज्यों में समान अनुपात से बाँटकर लैब अपग्रेड में निवेश बढ़ाया जाए।
  • Manpower Shortage (कर्मचारियों की कमी): एक ही environmental engineer को कई जिलों की जिम्मेदारी दे दी जाती है, जिससे निरीक्षण अनियमित होता है।
    Solution: Digital inspection tools अपनाएं और GIS mapping द्वारा सरल टीम डिप्लॉयमेंट करें।
  • Legal Delays (कानूनी देरी): अदालतों में पर्यावरण-सम्बन्धी मुकदमों का निपटारा वर्षों तक लंबित रहता है; प्रदूषक आराम से stay order ले लेते हैं।
    Solution: विशेष Environmental Courts या Green Tribunal का दायरा बढ़ाएँ और fast-track सुनवाई तय करें।
  • Public Awareness Gap (जन-जागरूकता कमी): कई households अब भी नालियों में प्लास्टिक एवं केमिकल नष्ट करते हैं, जिससे non-point source pollution बढ़ता है।
    Solution: स्कूल-कॉलेज में “Catch the Raindrop” जैसी मुहिम और community surveillance apps शुरू हों।
  • Industrial Pressure (औद्योगिक दबाव): Cluster-based industries अक्सर राजनीतिक प्रभाव डालती हैं, और zero-liquid-discharge जैसी शर्तों में ढील चाहती हैं।
    Solution: Corporate Environmental Responsibility को CSR में अनिवार्य रूप से जोड़ें और उल्लंघन पर stock-exchange disclosure बाध्य करें।

FAQs

Water Pollution Control Act 1974 एक केंद्रीय कानून है जिसे भारत में जल स्रोतों जैसे नदियों, झीलों और भूमिगत जल को प्रदूषण से बचाने के लिए बनाया गया था। यह Act industries और स्थानीय निकायों को नियमों के अनुसार पानी में कचरा या effluent छोड़ने से रोकता है।
इसके मुख्य फीचर्स में शामिल हैं – industries के लिए consent system, sample testing की legal प्रक्रिया, penalty और imprisonment का प्रावधान, और emergency powers के तहत प्रदूषण फैलाने वाली unit को बंद करवाना।
इसे लागू करने की जिम्मेदारी CPCB (Central Pollution Control Board) और SPCB (State Pollution Control Boards) पर होती है। ये authorities monitoring, inspection, और industries को consent देने का काम करती हैं।
इस अधिनियम के तहत कई water bodies जैसे Ganga और Sabarmati में पानी की quality बेहतर हुई है, aquatic life में सुधार हुआ है और disease फैलने की दर कम हुई है।
मुख्य समस्याएं हैं – fund की कमी, skilled staff की कमी, long legal delays, public awareness की कमी और industries का राजनीतिक दबाव। ये सभी enforcement को कठिन बनाते हैं।

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