Environmental Effects of Mineral Resources Extraction
Makhanlal Chaturvedi University / BCA / Environmental Science
Environmental Effects of Mineral Resources Extraction in Hindi
Environmental Effects of Mineral Resources Extraction in Hindi
Environmental Impact of Mineral Extraction Process in Hindi
खनिज (Mineral) प्राकृतिक संसाधन होते हैं जो पृथ्वी की सतह के नीचे पाए जाते हैं। इन्हें निकालने की प्रक्रिया को Mineral Extraction या खनन कहा जाता है। यह प्रक्रिया पृथ्वी की सतह को खोदकर, गहराई से खनिज निकालने पर आधारित होती है। हालांकि खनिज संसाधन हमारी आर्थिक और औद्योगिक प्रगति के लिए जरूरी हैं, लेकिन इन्हें निकालने की प्रक्रिया से पर्यावरण पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। आइए इसे विस्तार से समझते हैं –
- भूमि की खुदाई: खनिज निकालने के लिए ज़मीन को गहराई तक खोदा जाता है जिससे प्राकृतिक धरातलीय संरचना (surface structure) नष्ट हो जाती है।
- खाली गड्ढों की समस्या: खनन के बाद जो गड्ढे बनते हैं, वे पानी भरने पर मच्छरों का घर बन जाते हैं और जलजमाव से बीमारियां फैलती हैं।
- खनन के दौरान विस्फोट: Blast करने के लिए जो विस्फोटक उपयोग होते हैं, वे आसपास के पर्यावरण को नुकसान पहुँचाते हैं।
- धूल और गैसें: खनन की प्रक्रिया में भारी मात्रा में धूल, धुआं, और जहरीली गैसें निकलती हैं, जो हवा को प्रदूषित करती हैं।
- ऊर्जा की खपत: खनिज निकालने की प्रक्रिया में भारी मशीनरी और ऊर्जा का उपयोग होता है जो प्राकृतिक संसाधनों को तेज़ी से खत्म करता है।
Air, Water and Soil Pollution due to Mineral Resources in Hindi
खनिज संसाधनों के खनन से वायु, जल और मृदा (Soil) तीनों प्रकार का प्रदूषण होता है। इसे हम क्रमवार तरीके से समझते हैं:
- Air Pollution (वायु प्रदूषण): खनन के दौरान जब ज़मीन को तोड़ा जाता है या विस्फोट होता है तो बहुत सारी धूल और धुएं निकलते हैं। ये हवा में मिलकर वायु प्रदूषण फैलाते हैं। इससे सांस की बीमारियां जैसे Asthma और Bronchitis हो सकती हैं।
- Water Pollution (जल प्रदूषण): खनन स्थलों से निकलने वाला रसायन और धातुएं (Metals) जैसे Mercury, Arsenic आदि पास की नदियों, झीलों या भूजल में मिल जाते हैं। इससे पीने का पानी जहरीला हो जाता है। खनन से Acid Mine Drainage भी होता है जो जल स्रोतों को एसिडिक बना देता है।
- Soil Pollution (मृदा प्रदूषण): खनन से निकलने वाला रासायनिक कचरा ज़मीन पर फैल जाता है जिससे मृदा की उपजाऊ शक्ति खत्म हो जाती है। इस ज़मीन में फसलें नहीं उग पाती और जमीन बंजर हो जाती है।
Effects of Mineral Resources on Forests and Wildlife in Hindi
खनिज संसाधनों के दोहन से जंगलों और वन्य जीवों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसे हम नीचे विस्तार से समझते हैं –
- Deforestation (वनों की कटाई): जब किसी क्षेत्र में खनन करना होता है तो सबसे पहले उस इलाके के पेड़-पौधों को काटा जाता है। इससे जैव विविधता (biodiversity) खत्म होती है।
- Wildlife Displacement (वन्यजीवों का विस्थापन): खनन के कारण जानवरों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाता है और उन्हें दूसरी जगह जाना पड़ता है। इससे कई बार वे भोजन, पानी और सुरक्षित आवास से वंचित हो जाते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है।
- Noise Pollution (ध्वनि प्रदूषण): खनन मशीनों और विस्फोटों की आवाजें जानवरों को डरा देती हैं जिससे वे अपने आवास छोड़ देते हैं और कई बार आक्रामक हो जाते हैं।
- Poaching and Human-Animal Conflict: जंगल खत्म होने पर जानवर इंसानी बस्तियों की ओर आने लगते हैं जिससे इंसान और जानवरों के बीच टकराव होता है।
Measures to Reduce Environmental Effects of Mineral Resources in Hindi
खनिज संसाधनों के दोहन से होने वाले पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के लिए कुछ प्रभावशाली उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- Sustainable Mining (सतत खनन): खनन करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो और दोहन धीमी गति से हो।
- Reclamation of Mined Land (खनन भूमि का पुनर्स्थापन): खनन के बाद खाली पड़ी ज़मीन को फिर से उपजाऊ बनाना, पेड़ लगाना और वहां हरियाली लाना बहुत ज़रूरी है।
- Pollution Control Techniques (प्रदूषण नियंत्रण तकनीक): जैसे Water Treatment Plants, Air Purifiers और Dust Collectors का इस्तेमाल करके प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
- Afforestation and Reforestation (वनारोपण और पुनर्वनीकरण): जिन क्षेत्रों में पेड़ काटे गए हों वहां दोबारा पेड़ लगाए जाएं ताकि जैव विविधता वापस आ सके।
- Strict Government Regulations: सरकार को खनन कंपनियों पर सख्त नियम लागू करने चाहिए जैसे कि EIA (Environmental Impact Assessment) अनिवार्य करना और बिना अनुमति खनन पर रोक लगाना।
खनन से संबंधित पर्यावरणीय समस्याओं की तुलना
| प्रभाव क्षेत्र | प्रमुख समस्या | परिणाम |
|---|---|---|
| वायु (Air) | धूल, धुआं, गैसें | सांस की बीमारी, प्रदूषित वातावरण |
| जल (Water) | रासायनिक रिसाव | पीने के पानी की गुणवत्ता में गिरावट, जलीय जीवन प्रभावित |
| मृदा (Soil) | बंजर भूमि | खेती लायक जमीन की हानि |
| वन और वन्यजीव | वनों की कटाई और विस्थापन | वन्य जीवों की प्रजातियों में कमी |
इस प्रकार, खनिज संसाधनों का अनियंत्रित और अव्यवस्थित दोहन हमारे पर्यावरण, जैव विविधता और मानव स्वास्थ्य तीनों के लिए खतरा बन सकता है। यदि हमने समय रहते सतत और पर्यावरण अनुकूल खनन तकनीकों को नहीं अपनाया तो हमें दीर्घकालिक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।