Agricultural and Overgrazing Impact
Makhanlal Chaturvedi University / BCA / Environmental Science
Agricultural and Overgrazing Impact in Hindi
Agricultural and Overgrazing Impact in Hindi
Agricultural Expansion and Its Impact on Ecosystems in Hindi
खेती (Agriculture) हमारे जीवन का एक मूल आधार है, लेकिन जब खेती का दायरा बिना योजना के बढ़ता है, तो यह प्रकृति को नुकसान पहुँचाने लगता है। इसे हम Agricultural Expansion कहते हैं। जब ज्यादा से ज्यादा जंगलों को काटकर खेतों में बदला जाता है, या घास के मैदानों को जोत दिया जाता है, तो यह प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) पर सीधा असर डालता है।
- वनों की कटाई (Deforestation): खेती के लिए जंगलों को काटा जाता है जिससे वहाँ रहने वाले पशु-पक्षियों का घर नष्ट हो जाता है। इससे जैव विविधता (Biodiversity) कम होती है।
- प्राकृतिक आवास (Habitat) का विनाश: जो जीव केवल जंगल या घास के मैदान में रहते हैं, वे Agricultural Expansion के कारण विलुप्त हो सकते हैं।
- पानी की कमी: खेती में ज़्यादा पानी लगता है। यदि खेतों की संख्या बढ़ती जाती है तो जल स्रोतों पर दबाव बढ़ता है।
- मिट्टी की उर्वरता (Soil Fertility) घटती है: ज़्यादा जोताई और उर्वरक के प्रयोग से मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्व कम हो जाते हैं।
- कीटनाशक और रासायनिक खादों का अधिक उपयोग: इससे न केवल मिट्टी खराब होती है, बल्कि पानी और जीव-जंतु भी प्रभावित होते हैं।
Effects of Overgrazing on Soil and Vegetation in Hindi
जब पशु किसी जमीन पर जरूरत से ज्यादा चरते हैं और घास या पौधों को पुनः उगने का मौका नहीं मिलता, तो उसे Overgrazing कहते हैं। यह प्रक्रिया जमीन और वनस्पति (Vegetation) दोनों पर बुरा प्रभाव डालती है।
- घास और पौधों की कमी: बार-बार चराई से पौधे दोबारा नहीं उग पाते। इससे जमीन पर हरियाली कम हो जाती है।
- मिट्टी का कटाव (Soil Erosion): जब मिट्टी को पकड़ने वाले पौधे नहीं रह जाते, तो बारिश या हवा से मिट्टी बह जाती है। इससे जमीन बंजर हो जाती है।
- मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट: पौधों की कमी के कारण मिट्टी में पोषक तत्व नहीं बनते।
- वनस्पति की विविधता घटती है: एक जैसे पौधे बार-बार चरने से कई तरह की वनस्पतियाँ धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं।
Land Degradation Due to Agriculture and Grazing in Hindi
खेती और चराई दोनों ही प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर करती हैं, लेकिन इनका अत्यधिक उपयोग जमीन की गुणवत्ता को खराब कर देता है, जिसे Land Degradation कहा जाता है।
- मिट्टी की संरचना में बदलाव: ज्यादा जोताई और भारी मशीनों के उपयोग से मिट्टी की ऊपरी सतह (Top Soil) कमजोर हो जाती है।
- जल-अपवाह में वृद्धि: जब जमीन से वनस्पति हट जाती है, तो पानी सीधे बह जाता है और मिट्टी बहने लगती है।
- रेगिस्तान बनना (Desertification): Overgrazing और गलत खेती की वजह से जमीन रेगिस्तान में बदलने लगती है।
- नमीयुक्त मिट्टी का सूखना: ज्यादा खेती से भूमिगत जल स्तर नीचे चला जाता है और मिट्टी सूखी हो जाती है।
- जैविक पदार्थ (Organic Matter) की कमी: बार-बार की खेती से मिट्टी में आवश्यक जैविक पदार्थ खत्म हो जाते हैं।
| कारण | परिणाम |
|---|---|
| Overgrazing | पौधों की कमी, मिट्टी कटाव, जैव विविधता में कमी |
| Agricultural Expansion | वनों की कटाई, जल स्रोतों पर दबाव, कीटनाशक प्रदूषण |
| लगातार खेती | मिट्टी की उर्वरता में गिरावट, जमीन का बंजर होना |
Preventive Measures Against Overgrazing in Hindi
Overgrazing को रोका जा सकता है यदि हम कुछ सरल और व्यावहारिक उपाय अपनाएं। इससे न केवल पर्यावरण सुरक्षित रहेगा, बल्कि पशुपालन भी स्थायी रूप से किया जा सकेगा।
- चराई की सीमा निर्धारित करना: हर क्षेत्र में पशुओं की संख्या नियंत्रित करनी चाहिए ताकि पौधों को दोबारा उगने का मौका मिले।
- घुमावदार चराई प्रणाली (Rotational Grazing): एक समय में एक क्षेत्र में ही चराई कराना और बाकी क्षेत्र को आराम देना।
- घास के बीज बोना: जहाँ घास खत्म हो गई है, वहाँ विशेष प्रकार की घास बोना चाहिए जिससे पशुओं को भोजन और जमीन को सुरक्षा मिले।
- जल संरक्षण: पानी को रोकने और सिंचाई के लिए तालाब, मेडबंदी, चेक डैम बनाए जाने चाहिए ताकि जमीन सूखने न पाए।
- जनजागरूकता अभियान: किसानों और पशुपालकों को Overgrazing के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक करना जरूरी है।
इन उपायों से हम Overgrazing और Agricultural Expansion से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को काफी हद तक कम कर सकते हैं। साथ ही, यह हमारे आने वाले भविष्य के लिए भी जरूरी है कि हम अपनी जमीन, पानी और पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करें।