Notes in Hindi

Floods and Their Impact

Makhanlal Chaturvedi University / BCA / Environmental Science

Floods and Their Impact in Hindi

Floods and Their Impact in Hindi

Introduction

बाढ़ (Flood) एक प्राकृतिक आपदा है जो तब आती है जब किसी क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा, नदी का जलस्तर बढ़ना, बांध टूटना या समुद्र का जल स्तर ऊँचा हो जाना जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं। इससे जल भूमि पर फैल जाता है और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। भारत जैसे देश में, जहाँ कई नदियाँ बहती हैं और मानसून अस्थिर होता है, बाढ़ एक सामान्य समस्या बन चुकी है।

Causes of Floods in India in Hindi

  • अत्यधिक वर्षा (Heavy Rainfall): जब किसी क्षेत्र में लगातार भारी बारिश होती है तो नदियों, नालों और तालाबों में पानी भर जाता है और वह अपने किनारों से बाहर निकल जाता है। यह सबसे सामान्य कारण होता है।
  • नदी का मार्ग अवरुद्ध होना (Obstruction in River Flow): जब नदी के प्रवाह में कोई बाधा उत्पन्न होती है, जैसे - भूस्खलन, तो पानी रुक जाता है और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
  • बांध का टूटना (Dam Failure): जब किसी बांध में दरार आ जाती है या वह टूट जाता है तो अचानक बड़ी मात्रा में पानी निकलकर आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ ले आता है।
  • जल निकासी की खराब व्यवस्था (Poor Drainage System): शहरों में जब जल निकासी की व्यवस्था अच्छी नहीं होती, तो बारिश का पानी सड़कों और घरों में भर जाता है और शहरी बाढ़ (Urban Flood) की स्थिति बन जाती है।
  • जलवायु परिवर्तन (Climate Change): ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम चक्र असामान्य हो गए हैं जिससे कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा होती है और बाढ़ की आशंका बढ़ जाती है।

Types of Floods in India in Hindi

  • फ्लैश फ्लड (Flash Flood): यह बाढ़ बहुत तेजी से आती है और अचानक ही भारी तबाही मचा देती है। यह सामान्यतः भारी वर्षा या बांध टूटने की स्थिति में होती है।
  • नदी बाढ़ (River Flood): जब नदियों में पानी का स्तर सामान्य से ऊपर चला जाता है और किनारों को पार कर आसपास के क्षेत्रों में फैल जाता है, तो इसे नदी बाढ़ कहा जाता है।
  • शहरी बाढ़ (Urban Flood): जब शहरों में जल निकासी ठीक से नहीं होती और भारी बारिश के कारण सड़कें और कॉलोनियाँ जलमग्न हो जाती हैं, तो यह शहरी बाढ़ कहलाती है।
  • तटीय बाढ़ (Coastal Flood): समुद्री क्षेत्रों में चक्रवात, समुद्र में जलस्तर बढ़ने या सुनामी के कारण जब तटवर्ती क्षेत्र जलमग्न हो जाते हैं, तो इसे तटीय बाढ़ कहते हैं।

Environmental Impact of Floods in Hindi

  • मिट्टी का कटाव (Soil Erosion): बाढ़ के पानी के बहाव से मिट्टी का कटाव होता है जिससे कृषि भूमि की उपजाऊ शक्ति घट जाती है।
  • वनस्पतियों का नष्ट होना (Loss of Vegetation): बाढ़ से पेड़-पौधे नष्ट हो जाते हैं जिससे पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो जाता है।
  • जल प्रदूषण (Water Pollution): बाढ़ के दौरान गंदगी, कचरा और सीवेज का पानी नदियों और जल स्रोतों में मिल जाता है जिससे पानी प्रदूषित हो जाता है।
  • जैव विविधता को नुकसान (Loss of Biodiversity): कई जलीय और स्थलीय जीव-जंतु बाढ़ की चपेट में आकर मारे जाते हैं, जिससे जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

Economic Impact of Floods in Hindi

  • कृषि को नुकसान (Damage to Agriculture): बाढ़ के कारण फसलें नष्ट हो जाती हैं जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है।
  • संपत्ति का विनाश (Destruction of Property): घर, दुकानें, कारखाने और अन्य इमारतें जलमग्न होकर बर्बाद हो जाती हैं।
  • सड़क और पुलों का टूटना (Damage to Infrastructure): बाढ़ से सड़कें, रेलवे ट्रैक, पुल आदि टूट जाते हैं जिससे यातायात व्यवस्था बाधित होती है।
  • सरकारी खर्च में वृद्धि (Increased Government Spending): राहत और पुनर्वास कार्यों पर सरकार को भारी खर्च करना पड़ता है।

Flood Control Measures and Planning in Hindi

  • बांध और जलाशय निर्माण (Construction of Dams and Reservoirs): नदी के पानी को नियंत्रित करने के लिए बड़े बांध और जलाशय बनाए जाते हैं जिससे बाढ़ को रोका जा सके।
  • तटबंध निर्माण (Construction of Embankments): नदियों के किनारों पर तटबंध बनाए जाते हैं ताकि पानी आसपास के क्षेत्रों में न फैल सके।
  • जल निकासी व्यवस्था सुधार (Improved Drainage System): शहरों और गांवों में जल निकासी की व्यवस्था बेहतर बनानी चाहिए ताकि पानी जमा न हो।
  • बाढ़ चेतावनी प्रणाली (Flood Warning System): तकनीकी साधनों जैसे सैटेलाइट, रडार और सेंसर की मदद से बाढ़ की भविष्यवाणी की जाती है ताकि समय रहते लोग सुरक्षित स्थानों पर जा सकें।
  • वनरोपण और जल संरक्षण (Afforestation and Water Management): पेड़ लगाने से मिट्टी की पकड़ मजबूत होती है और जल संरक्षण के माध्यम से बारिश के पानी को रोककर बाढ़ की संभावना को कम किया जा सकता है।

Case Studies of Major Floods in India in Hindi

बाढ़ का वर्ष स्थान प्रमुख कारण प्रभाव
2008 कोसी नदी, बिहार कोसी नदी का मार्ग बदलना 500 से अधिक मौतें, लाखों लोग बेघर
2013 उत्तराखंड अत्यधिक वर्षा और भूस्खलन 5000 से अधिक मौतें, मंदिर और गाँव नष्ट
2015 चेन्नई रिकॉर्डतोड़ बारिश और जल निकासी विफल 200 से अधिक मौतें, आर्थिक हानि लगभग ₹20,000 करोड़
2018 केरल अत्यधिक वर्षा, बांधों से पानी छोड़ना 400 से अधिक मौतें, हजारों लोग बेघर

इन उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि बाढ़ से सिर्फ जान-माल का ही नुकसान नहीं होता बल्कि इसका दीर्घकालिक प्रभाव पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। इसलिए हमें बाढ़ नियंत्रण के उपायों को समय रहते अपनाना चाहिए और जन-जागरूकता फैलानी चाहिए ताकि भविष्य में इससे होने वाले नुकसान को रोका जा सके।

FAQs

भारत में बाढ़ के मुख्य कारणों में भारी वर्षा, नदियों का उफान, बांध टूटना, जल निकासी की खराब व्यवस्था और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं। मानसून के दौरान अत्यधिक बारिश और पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन भी बाढ़ के प्रमुख कारण बनते हैं।
भारत में मुख्यतः चार प्रकार की बाढ़ें होती हैं: Flash Flood (तेज और अचानक बाढ़), River Flood (नदी से फैलने वाली बाढ़), Urban Flood (शहरों में जल भराव) और Coastal Flood (समुद्री क्षेत्रों में आने वाली बाढ़)। इन बाढ़ों का प्रभाव क्षेत्र, गति और कारण के अनुसार भिन्न होता है।
बाढ़ के पर्यावरणीय प्रभावों में मिट्टी का कटाव, वनस्पतियों का नाश, जल प्रदूषण और जैव विविधता को नुकसान प्रमुख हैं। बाढ़ से प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो जाता है जिससे कई वन्य जीवों की मृत्यु हो जाती है।
बाढ़ से किसानों की फसलें नष्ट होती हैं, घर और संपत्ति को नुकसान होता है, सड़कें और पुल टूटते हैं जिससे सरकार को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ता है। इसके अलावा पुनर्वास और राहत कार्यों में भी करोड़ों रुपये खर्च होते हैं।
भारत में बाढ़ नियंत्रण के लिए बांध और जलाशयों का निर्माण, नदी तटबंध बनाना, बेहतर drainage system तैयार करना, बाढ़ चेतावनी प्रणाली विकसित करना और जन-जागरूकता फैलाना आवश्यक है। इसके साथ ही वनों की कटाई रोककर और वृक्षारोपण करके भी बाढ़ की रोकथाम की जा सकती है।

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