Drought and Its Effects
Makhanlal Chaturvedi University / BCA / Environmental Science
Drought and Its Effects in Hindi
Drought and Its Effects in Hindi
Meaning and Types of Drought in Hindi
सूखा (Drought) एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसमें लंबे समय तक बारिश नहीं होती है या बहुत कम मात्रा में होती है। इसकी वजह से मिट्टी सूख जाती है, जल स्रोत जैसे तालाब, नदियाँ और कुएँ सूखने लगते हैं और पेड़-पौधों की वृद्धि रुक जाती है। इसका प्रभाव केवल पर्यावरण पर नहीं, बल्कि मानव जीवन, पशु-पक्षियों और खेती पर भी पड़ता है।
सूखा तब होता है जब किसी क्षेत्र में सामान्य से बहुत कम बारिश होती है और वह स्थिति कई हफ्तों, महीनों या सालों तक बनी रहती है। इसका असर कृषि उत्पादन, पीने के पानी की उपलब्धता, बिजली उत्पादन और संपूर्ण जीवनशैली पर पड़ता है।
Types of Drought in Hindi
- Meteorological Drought: जब सामान्य से बहुत कम वर्षा होती है तो इसे मौसमीय सूखा कहते हैं। यह सूखा सबसे पहले दिखाई देता है।
- Agricultural Drought: जब मिट्टी में नमी की मात्रा इतनी कम हो जाती है कि फसलें नहीं उग पातीं, तो उसे कृषि सूखा कहा जाता है।
- Hydrological Drought: जब नदियों, झीलों और भूजल स्तर में अत्यधिक गिरावट आ जाती है, तो उसे जल-संबंधी सूखा कहते हैं।
- Socio-economic Drought: जब सूखे का असर लोगों की रोज़मर्रा की जिंदगी, व्यापार और आर्थिक व्यवस्था पर पड़ता है, तो उसे सामाजिक-आर्थिक सूखा कहते हैं।
Causes of Drought in Hindi
- लंबे समय तक वर्षा की कमी
- मानवजनित कारण जैसे पेड़ों की अत्यधिक कटाई (Deforestation)
- जल संसाधनों का अधिक दोहन और गलत प्रबंधन
- जलवायु परिवर्तन (Climate Change) जैसे तापमान में वृद्धि
- मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट
- पानी के संरक्षण की तकनीकों का अभाव
Impact of Drought on Agriculture in Hindi
- फसलें सूख जाती हैं जिससे किसान को भारी आर्थिक नुकसान होता है।
- मिट्टी की नमी खत्म हो जाती है और उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है।
- बीज बोना और सिंचाई करना मुश्किल हो जाता है।
- पशुपालन प्रभावित होता है क्योंकि चारा और पानी की कमी हो जाती है।
- खाद्य उत्पादन में कमी आती है जिससे खाद्य संकट (Food Crisis) उत्पन्न हो सकता है।
Social and Economic Effects of Drought in Hindi
- पीने के पानी की कमी हो जाती है जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
- किसान कर्ज में डूब जाते हैं और कई बार आत्महत्या जैसी घटनाएँ सामने आती हैं।
- ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी बढ़ जाती है क्योंकि कृषि पर ही जीविका निर्भर होती है।
- मजदूर और किसान शहरों की ओर पलायन करने लगते हैं जिससे शहरी क्षेत्रों पर बोझ बढ़ता है।
- स्थानीय व्यापार, मंडियाँ और बाजार प्रभावित होते हैं जिससे आर्थिक संकट उत्पन्न होता है।
- सरकारी योजनाओं और आर्थिक सहायता पर अधिक दबाव पड़ता है।
Drought Management and Mitigation Strategies in Hindi
सूखा प्रबंधन (Drought Management) का उद्देश्य सूखे के प्रभाव को कम करना और समय रहते राहत प्रदान करना होता है। इसके लिए कई उपाय किए जा सकते हैं:
1. जल संरक्षण तकनीकें
- वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting): छतों और खुले स्थानों पर गिरने वाले पानी को संग्रहित करना।
- ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation): पानी की कम मात्रा में बूँद-बूँद करके सिंचाई करना।
- स्प्रिंकलर प्रणाली: फसलों पर ऊपर से फुहार के रूप में पानी देना जिससे कम पानी में अधिक क्षेत्र की सिंचाई हो सके।
2. वन संरक्षण और वृक्षारोपण
- पेड़ों की कटाई को रोकना और अधिक से अधिक वृक्ष लगाना।
- वन क्षेत्रों की देखरेख और सुरक्षा करना ताकि पारिस्थितिक संतुलन बना रहे।
3. सूखा सहनशील फसलों का चयन
- ऐसी फसलें बोना जो कम पानी में भी उगाई जा सकें जैसे बाजरा, ज्वार, मूँग आदि।
4. जागरूकता और शिक्षा
- किसानों को सूखा प्रबंधन के तरीके सिखाना और सरकारी योजनाओं की जानकारी देना।
- स्कूल और कॉलेज में जल संरक्षण से संबंधित शिक्षा देना।
5. सरकारी योजनाएँ और सहायता
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, सूखा राहत योजना, मनरेगा जैसी योजनाओं के तहत सहायता देना।
- बेरोजगारी भत्ता, खाद्य वितरण प्रणाली और जल आपूर्ति सुनिश्चित करना।
6. जल संसाधनों का उचित प्रबंधन
- तालाबों, झीलों और नहरों की मरम्मत और पुनर्जीवन करना।
- जल निकासी प्रणाली को व्यवस्थित बनाना ताकि वर्षा जल व्यर्थ न जाए।
7. तकनीकी सहायता
- Satellite और Weather Forecasting का प्रयोग कर पहले से ही सूखे की भविष्यवाणी करना।
- Smart Agriculture तकनीकों का उपयोग जैसे Soil Moisture Sensors, Mobile Apps आदि।
उपयोगी तालिका: सूखे के प्रकार और उनके लक्षण
| सूखे का प्रकार | मुख्य विशेषताएँ |
|---|---|
| Meteorological Drought | लंबे समय तक वर्षा की अत्यधिक कमी |
| Agricultural Drought | मिट्टी की नमी में कमी, फसलों की हानि |
| Hydrological Drought | जल स्रोतों जैसे नदियों, झीलों का सूखना |
| Socio-economic Drought | लोगों की आर्थिक, सामाजिक स्थिति पर असर |
इस प्रकार, सूखा एक गंभीर पर्यावरणीय और सामाजिक समस्या है जिसे केवल प्राकृतिक घटना मानकर नहीं छोड़ा जा सकता। इसके प्रभाव को समझकर हमें मिलकर इससे निपटने की तैयारी करनी चाहिए ताकि आने वाले समय में कम से कम नुकसान हो।