Types of Network part 2 in hindi
Makhanlal Chaturvedi University / BCA / Fundamentals of Computer and Information Technology
Types of Network Part 2 in Hindi
Types of Network Part 2 in Hindi
Advanced Network Types in Hindi
पिछले भाग में आपने LAN और WAN जैसी बेसिक Network श्रेणियाँ देखी थीं। अब हम उन Network प्रकारों को समझेंगे जिनका इस्तेमाल बड़े शहरों, कैंपस या व्यक्तिगत गैजेट्स के बीच किया जाता है। ये सभी Network अलग‑अलग जरूरतों और भौगोलिक सीमाओं के अनुसार डिज़ाइन किए जाते हैं और Internet तक पहुँचने का आधार बनते हैं।
- MAN (Metropolitan Area Network) – यह नेटवर्क पूरे शहर या बड़े महानगर को कवर करता है। उदाहरण के लिए, किसी शहर की सभी सरकारी इमारतें और यूनिवर्सिटियाँ एक ही फाइबर‑ऑप्टिक रिंग से जुड़ी हों तो उसे MAN कहते हैं। इसकी गति आमतौर पर LAN से कम लेकिन WAN से ज्यादा स्थिर होती है, क्योंकि यह फाइबर या हाई‑स्पीड वायरलेस टेक्नॉलजी पर आधारित होता है।
- PAN (Personal Area Network) – यह आपके मोबाइल, लैपटॉप, स्मार्ट‑वॉच और वायरलेस ईयरबड जैसी डिवाइसों को जोड़ने वाला छोटा व निजी नेटवर्क है। सामान्यतः Bluetooth या Wi‑Fi Direct पर चलता है और 10–30 मीटर में सीमित रहता है। PAN डाटा सिंक, फाइल ट्रांसफर और त्वरित नोटिफिकेशन के लिए उपयुक्त है।
- SAN (Storage Area Network) – डाटा‑सेंटर या बड़ी कंपनियों में स्टोरेज सर्वर‑क्लस्टर आपस में जुड़ कर बेहद तेज़ ट्रांसफर स्पीड (फाइबर चैनल या iSCSI) उपलब्ध कराते हैं। इसके ज़रिए बैकअप, क्लाउड होस्टिंग और Big Data जैसे वर्कलोड सुचारु रहते हैं।
- CAN (Campus Area Network) – किसी विश्वविद्यालय, औद्योगिक क्षेत्र या सैन्य ठिकाने के अंदर मौजूद इमारतों को जोड़ता है। यह अक्सर एक बड़ी LAN संरचना जैसा दिखता है, लेकिन इसके स्विच और राउटर पूरे कैंपस स्तर पर मॉनिटर होते हैं ताकि वे उच्च सुरक्षा‑मानक व स्थिरता सुनिश्चित कर सकें।
- GAN (Global Area Network) – यह कई देशों या महाद्वीपों में फैले निजी नेटवर्क का संयोजन है। मल्टीनेशनल कंपनियाँ अपने सभी रिजनल डाटा‑सेंटर एक प्राइवेट सैटेलाइट लिंक या अंडर‑सी केबल के माध्यम से जोड़ती हैं ताकि वेमोशन कंट्रोल, लाइव डेटा विश्लेषण और ग्लोबल फाइल‑सिंक कर सकें।
What is Internet and How It Connects Global Users in Hindi
Internet दरअसल विश्व‑भर में फैले लाखों छोटे‑बड़े Network का इंटरकनेक्शन है, जिसे TCP/IP
प्रोटोकॉल‑सूट चलाता है। हर कंप्यूटर या डिवाइस को एक अनोखा IP address मिलता है, जिससे डाटा पैकेट सही
गंतव्य तक पहुँचते हैं।
जब आप अपने स्मार्ट‑फोन पर वेब पेज खोलते हैं, तो आपका डिवाइस पहले ISP (Internet Service Provider) से
जुड़ता है। ISP के DNS (Domain Name System) सर्वर के माध्यम से डोमेन‑नेम (जैसे chat.openai.com) का IP
पता खोजा जाता है। फिर डेटा पैकेट कई routers और switches से होते हुए उस वेब‑सर्वर तक पहुँचता
है, जहाँ पेज होस्ट है।
इस पूरी यात्रा में submarine fiber cables, सैटेलाइट लिंक, टेरिस्ट्रियल फाइबर और वायरलेस बैकहॉल सब
शामिल होते हैं। यही कारण है कि आप दिल्ली में बैठकर महज़ कुछ मिली‑सेकंड में न्यू‑यॉर्क स्थित सर्वर से चैट
कर पाते हैं।
VPN (Virtual Private Network) and Its Secure Connection Role in Hindi
VPN एक ऐसी तकनीक है जो पब्लिक Internet के ऊपर encrypted tunnel बनाकर आपका डाटा सुरक्षित
करती है। जब आप VPN क्लाइंट (मोबाइल ऐप या डेस्कटॉप सॉफ़्टवेयर) चालू करते हैं, तो सबसे पहले वह आपके डिवाइस और
VPN‑सर्वर के बीच secure handshake करता है। AES‑256 जैसे शक्तिशाली ciphers से डाटा encrypt
किया जाता है।
बाहर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है मानो आप सीधे VPN‑सर्वर की लोकैशन से इंटरनेट यूज़ कर रहे हों; असल IP address
छिप जाता है। कंपनियाँ इसे site‑to‑site VPN की तरह यूज़ करती हैं ताकि दुनिया‑भर की शाखाएँ एक ही निजी
नेटवर्क की तरह काम कर सकें।
प्रचलित प्रोटोकॉल जैसे OpenVPN, WireGuard, IKEv2/IPsec आदि गति व सुरक्षा में बैलेंस पेश करते हैं, जबकि
SSL VPN वेब‑ब्राउज़र के जरिए त्वरित ऐक्सेस देता है।
Benefits of Using VPN in Public Networks in Hindi
- डेटा गोपनीयता – किसी एअरपोर्ट, कैफ़े या हॉस्पिटल के Free Wi‑Fi पर आपका ट्रैफिक बिना VPN के आसानी से packet‑sniffers द्वारा पढ़ा जा सकता है। VPN यह डाटा एन्क्रिप्ट कर देता है, जिससे पासवर्ड और बैंक डिटेल चोरी होने की आशंका घटती है।
- IP Masking – VPN सर्वर का IP इस्तेमाल होने से आपका असली लोकेशन‑डेटा छिप जाता है, जिससे वेबसाइट्स आपको ट्रैक करना या लोकेशन‑आधारित मूल्य भेदभाव (price discrimination) करना कठिन पाती हैं।
- Bypass Censorship – कुछ संस्थान या देश विशेष वेबसाइट्स ब्लॉक करते हैं। VPN इन प्रतिबंधों को पार करने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है, बशर्ते कानून इसकी अनुमति दे।
- Secure Remote Access – वर्क‑फ्रॉम‑होम के दौरान कर्मचारी निजी फाइल‑सर्वर, ERP या Git repositories तक VPN के ज़रिए सुरक्षित रूप से पहुँचते हैं। इससे कंपनी के डेटा‑लीक का खतरा कम हो जाता है।
- कांस्टेंट डेटा इंटेग्रिटी – एन्क्रिप्शन के साथ‑साथ hash‑based message authentication codes यह सुनिश्चित करते हैं कि ट्रांसमिशन के दौरान डेटा के साथ छेड़छाड़ न हो।
Internet vs VPN: Key Differences and Uses in Hindi
अक्सर शुरुआती छात्रों को लगता है कि Internet और VPN एक ही चीज़ हैं। जबकि वास्तविकता में Internet एक विशाल पब्लिक रोड‑नेटवर्क जैसा है, और VPN उसी रोड पर चलने वाली बुलेट‑प्रूफ कार की तरह है। नीचे टेबल में दोनों के बीच अहम फ़र्क देखें:
| Parameter | Internet | VPN |
|---|---|---|
| Ownership | सार्वजनिक एवं अर्ध‑निजी ISPs | निजी कंपनी या स्वयं संचालित सर्वर |
| Data Encryption | डिफ़ॉल्ट रूप से नहीं, पर HTTPS संभव | एंड‑टू‑एंड टनल एन्क्रिप्शन अनिवार्य |
| IP Visibility | यूज़र का असली IP दिखता है | VPN‑सर्वर का IP दिखाई देता है |
| Primary Purpose | ग्लोबल संसाधनों तक ओपन एक्सेस | सुरक्षित तथा निजी कम्युनिकेशन |
| Common Uses | ब्राउज़िंग, ई‑मेल, स्ट्रीमिंग | Secure Remote Work, Censorship Bypass, Geo‑unlocking |
| Speed Impact | ISP प्लान पर निर्भर | थोड़ा ओवरहेड (एन्क्रिप्शन), पर WireGuard जैसे प्रोटोकॉल से न्यूनतम लेटेंसी |
सारांशतः, Internet तक सीधी पहुँच सुविधाजनक है, पर संवेदनशील डेटा या पब्लिक Wi‑Fi पर VPN का प्रयोग अनिवार्य‑सा हो गया है। दोनों मिलकर आज की connected दुनिया को तेज़, सुलभ और सुरक्षित बनाए रखते हैं।