LAN Components in hindi
Makhanlal Chaturvedi University / BCA / Fundamentals of Computer and Information Technology
LAN Components and Connectivity Essentials in Hindi
LAN Components and Connectivity Essentials in Hindi
LAN Components in Hindi
किसी भी Local Area Network (LAN) को समझने का सबसे आसान तरीका है उसे एक छोटे‑से शहर की तरह देखना जहाँ अलग‑अलग components — यानी भवन, सड़कें, और ट्रैफिक सिग्नल — मिल‑कर ट्रैफ़िक को सुव्यवस्थित रखते हैं। इसी तरह LAN में भी कई Hardware और Software हिस्से मिलकर डाटा का आवागमन आसान बनाते हैं। नीचे हर प्रमुख component को दो‑तीन पंक्तियों में सरल भाषा में समझाया गया है, ताकि आप बिना किसी तकनीकी उलझन के मूल बातें पकड़ सकें।
- Workstations / Clients (कम्प्यूटर या Laptop): ये वे उपकरण हैं जिनसे अंतिम उपयोगकर्ता काम करता है। हर workstation पर TCP/IP stack इंस्टॉल होता है जो डाटा पैकेट को सही फ़ॉर्मेट में नेटवर्क पर भेजता‑पहुंचाता है।
- Servers (सर्वर): सर्वर वह शक्तिशाली कम्प्यूटर होता है जो files, applications, database या printer जैसी shared services उपलब्ध कराता है। NOS इन्हीं सर्वरों पर चलता है तथा centralized नियंत्रण देता है।
- Switch: आधुनिक LAN की रीढ़। यह Layer‑2 डिवाइस है जो MAC Address Table बनाकर अलग‑अलग पोर्ट्स पर ट्रैफ़िक को फ़्लो‑बेस्ड तरीके से फ़ॉरवर्ड करता है, जिससे टकराव (collision) नहीं होते और गति सुधरती है।
- Router: जब LAN को बाहर की दुनिया या दूसरे नेटवर्क से जोड़ना हो तो Router Layer‑3 पर काम करके IP Routing करता है। यह subnet को logical रूप से अलग‑अलग रखता है और Internet Gateway का काम भी करता है।
- Access Point (AP): वायरलेस उपयोगकर्ताओं के लिए Wi‑Fi सिग्नल ब्रॉडकास्ट करता है। यह स्विच से Ethernet केबल द्वारा जुड़‑कर WLAN के क्लाइंट्स को LAN पर लाता है।
- Patch Panel और RJ‑45 Jack: केबल मैनेजमेंट तथा structured cabling के लिए patch panel इस्तेमाल होता है जिससे troubleshooting और future expansion आसान होती है।
- Repeater / Extender: जब केबल लंबी हो जाए और सिग्नल कमज़ोर पड़ने लगे, तब repeater सिग्नल को regenerate कर देता है ताकि डाटा corruption न हो।
- Uninterruptible Power Supply (UPS): बिजली जाने की स्थिति में कुछ मिनट‑घंटों का बैक‑अप देकर सर्वर या स्विच को सुरक्षा देता है ताकि अचानक shutdown से डाटा loss न हो।
Media used in LAN (Wired & Wireless) in Hindi
LAN में Communication Media डाटा के रथ (केबल या तरंग) की भूमिका निभाता है। सही media चुनने से network की speed, दूरी और interference पर सीधा असर पड़ता है। नीचे दो श्रेणियाँ और उनके मुख्य विकल्प सारणी सहित दिए गए हैं–
| Wired Media | मुख्य विशेषताएँ | सामान्य उपयोग |
|---|---|---|
| UTP Cat‑6 | 10 Gbps तक; 55‑100 m दूरी; EMI से मध्यम सुरक्षा | ऑफ़िस वर्कस्टेशन, IP Camera |
| STP | Shielded; EMI/RFI से ज़्यादा सुरक्षा; महँगा | इंडस्ट्रियल वातावरण |
| Coaxial | पहले लोकप्रिय; अब limited उपयोग; सॉलिड शील्ड | CCTV, पुराने Ethernet |
| Fiber Optic (SM/MM) | 40 Gbps+; किलोमीटर‑लम्बी दूरी; विद्युत‑रहित | Backbone, Data Center |
| Wireless Media | स्पेक्ट्रम / बैंड | उपयोग‑केस |
|---|---|---|
| Wi‑Fi (802.11ac/ax) | 2.4 GHz & 5 GHz | मोबाइल, Laptop, IoT |
| Bluetooth 5.x | 2.4 GHz (低 power) | Peripheral, Audio |
| 60 GHz Wireless (802.11ad) | V‑band; 7 Gbps+ | VR Headset, High‑speed P2P |
| Li‑Fi | Visible Light | Research & niche indoor |
याद रखें — Wired media latency और सुरक्षा के लिए बेहतर माने जाते हैं जबकि Wireless media लचीलापन और आसानी से expansion देते हैं। छोटी दूरी तथा mobility वाले वातावरण में Wi‑Fi सुलभ है, पर यदि मिशन‑क्रिटिकल एप्लिकेशन चल रहे हों तो Fiber Optic backbone का विकल्प सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
NIC (Network Interface Card) and its Role in Connectivity in Hindi
NIC ठीक उसी तरह है जैसे हमारे शरीर में हृदय का रुधिर पम्प — यह डाटा को network के धमनियों‑शिराओं (केबल या हवा) में धकेलता और वापस लाता है। हर NIC के पास एक अद्वितीय MAC Address होता है जो LAN में उसकी पहचान है। नीचे इसके कार्य और प्रकार सरल बिंदुओं में समझिए:
- Data Framing और CRC: NIC Layer‑2 पर frame बनाता है, CRC जाँच करता है तथा ग़लत पैकेट को drop करता है। इस प्रक्रिया से शुद्धता बनी रहती है।
- Buffering & DMA: तेज़ ट्रैफ़िक में NIC अपने buffer में डाटा होल्ड कर Direct Memory Access (DMA) से CPU बोझ कम करता है।
- Speed Negotiation: Auto‑negotiation से स्विच के साथ 10/100/1000/2500 Mbps सेट करता है। इससे दोनों सिरों पर अधिकतम संगत गति मिलती है।
प्रकारों में On‑board NIC (Motherboard में) सस्ती होती है, जबकि PCIe 10 GbE Card या SFP+ Fiber NIC डेटा सेंटर जैसे high‑throughput वातावरण में इस्तेमाल होती हैं।
उदाहरण के तौर पर Windows में NIC विवरण देखने के लिए यह कमांड चलाएँ:
C:> ipconfig /all
NOS (Network Operating System) and its Functions in LAN in Hindi
साधारण Desktop OS की तरह ही Network Operating System (NOS) भी kernel, drivers तथा user interface रखता है, पर इसका मूल उद्देश्य network resources को प्रबंधित करना होता है। कल्पना कीजिए कि NOS एक निपुण मैनेजर है जो LAN रूपी ऑफिस में हर सर्विस को सुव्यवस्थित रखता है:
- User & Group Management: Centralized login, Authentication (जैसे Active Directory, LDAP) और password policies लागू करता है।
- File और Printer Sharing: SMB, NFS, या CUPS जैसी सेवाएँ देकर shared directory और network printer उपलब्ध कराता है।
- Resource Monitoring: CPU, RAM, Disk, और network usage पर नज़र रखता है, alerts देता है ताकि downtime से बचा जा सके।
- Security Services: Firewall, ACL, VPN server, तथा certificate management जैसी सुविधाएँ प्रदान करता है।
- Backup & Disaster Recovery: नियमित snapshot, off‑site replication एवं rapid restore options उपलब्ध कराता है जिससे business continuity बनी रहे।
Windows Server, Red Hat Enterprise Linux, और FreeNAS जैसे प्लेटफॉर्म लोकप्रिय NOS उदाहरण हैं, जिन्हें उनकी सुविधा और लागत के आधार पर चुना जाता है।
Bridge and its Use in Connecting LAN Segments in Hindi
जब किसी संस्था का LAN फैल कर अलग‑अलग फ़्लोर या बिल्डिंग तक पहुँच जाए तब हर सेगमेंट को जोड़ना आवश्यक होता है, पर ट्रैफ़िक‑भरी broadcast storm से बचना भी उतना ही ज़रूरी है। Bridge यही संतुलन बनाता है।
- Layer‑2 Filtering: Bridge MAC address देखकर यह तय करता है कि फ्रेम किस सेगमेंट को भेजना है। अनावश्यक broadcast दूसरे सेगमेंट तक नहीं जाता, जिससे नेटवर्क साफ‑सुथरा रहता है।
- Collision Domain को छोटा करना: हर ब्रिज एक नया Collision Domain बनाता है, यानी दो सेगमेंट का आपसी टकराव कम हो जाता है और throughput बढ़ता है।
- Types of Bridge: Transparent Bridge ज़्यादातर Ethernet LAN में प्रयोग होता है, जबकि Source‑Route Bridge Token Ring topology में पाया जाता था।
- Comparison with Switch: Bridge दो‑चार पोर्ट का सरल डिवाइस है, जबकि Switch बहु‑पोर्ट संस्करण है; दोनों Layer‑2 पर ही काम करते हैं पर switch खासतौर पर modern high‑density जरूरतों के लिए evolved रूप है।
आज के समय में standalone bridges कम दिखाई देते हैं, क्योंकि अधिकांश switch आंतरिक रूप से bridging logic के साथ ही आते हैं। फिर भी conceptually Bridge समझना ज़रूरी है क्योंकि वही switching की आधारशिला है।