What is a Cell in Cellular System in Hindi
Makhanlal Chaturvedi University / BCA / Information Technology Trends
What is a Cell in Cellular System in Hindi
What is a Cell in Cellular System in Hindi
मोबाइल Cellular System का सबसे छोटा लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण इकाई Cell कहलाती है। सरल शब्दों में, जिस भू‑भाग पर एक ही Base Station (BTS) की रेडियो कवरेज फैली होती है, वह पूरा इलाक़ा एक Cell होता है। यह Cell सैद्धान्तिक रूप से षट्कोण (hexagon) के रूप में चित्रित किया जाता है ताकि नक़्शे पर कवरेज के बीच कोई रिक्त स्थान न बचे और Cells एक‑दूसरे को पूरी तरह जड़ित करें। वास्तविक धरातल पर भौगोलिक बाधाएँ और इमारतें Cell की आकृति को थोड़ा अनियमित बना देती हैं, फिर भी षट्कोणीय मॉडल frequency planning के लिए आसान गणनाएँ देता है, इसलिए इसे पाठ्य‑पुस्तकों और नेटवर्क डिज़ाइन में प्राथमिकता दी जाती है।
प्रत्येक Cell एक विशिष्ट Carrier Frequency या Frequency Pair पर काम करता है। GSM प्रणाली में uplink तथा downlink दोनों के लिए अलग‑अलग बैंड होते हैं, जबकि LTE आदि में duplex spacing नियत रहती है। Cell की Radius सामान्यतः 500 m से 5 km के बीच होती है, परन्तु घनी आबादी वाले महानगरीय क्षेत्रों में micro cell या pico cell का आकार 100 m से भी कम रखा जाता है ताकि अधिक ग्राहक एक ही समय पर सेवा पा सकें। दूसरी ओर, ग्रामीण इलाकों में macro cell 30 km तक फैलाई जा सकती है जिससे कम टावर लागत में अधिक क्षेत्र कवर हो जाता है। इस प्रकार Cell का आकार वातावरण, उपभोक्ता घनत्व और उपलब्ध स्पेक्ट्रम पर निर्भर करता है।
Cell के भीतर सभी मोबाइल फ़ोन Omni‑Directional Antenna या Sector Antenna से जुड़े होते हैं। यदि Cell को 60° के छह सेक्टरों में बाँटा जाये तो प्रत्येक सेक्टर को स्वतंत्र RF संसाधन देकर capacity बढ़ाई जा सकती है। जब किसी उपयोगकर्ता का फ़ोन Cell की सीमा से बाहर जाने लगता है तो handover (या handoff) प्रक्रिया स्वतः आरम्भ होती है, जिससे कॉल बिना कटे पड़ोसी Cell पर स्थानांतरित हो जाती है। यही लचीलापन Cellular System को चलती बस, ट्रेन या कार में भी निर्बाध सेवा उपलब्ध कराने योग्य बनाता है।
Structure and working of Cellular System Cell in Hindi
Basic Components of a Cell in Hindi
- Base Transceiver Station (BTS) – यह टावर पर स्थित RF मॉड्यूल है जो रेडियो सिग्नल को एरियल (antenna) के माध्यम से भेजता‑लेता है। BTS ही मोबाइल उपकरण तथा कोर नेटवर्क के बीच वास्तविक वॉयरलेस संपर्क स्थापित करता है।
- Base Station Controller (BSC) – कई BTS इकाइयों को नियंत्रित करने वाला नोड है। यह handover decision, power control और frequency hopping जैसे कार्य निष्पादित करता है जिससे पूरी क्लस्टर की कार्य‑क्षमता सुचारु बनी रहती है।
- Transceiver Antennas – सामान्यतः 3‑sector (120°) या 6‑sector (60°) पैटर्न में लगाई जाती हैं। सेक्टराइजेशन से interference घटता है और एक ही Cell में उपलब्ध चॅनेल संख्या बढ़ जाती है।
- Power Supply & Battery Backup – Grid failure की स्थिति में भी सेवा अनवरत रहे, इसके लिए SMPS तथा हाई‑कैलीबर बैटरियाँ या DG सेट लगाए जाते हैं। आधुनिक green base stations में सौर‑उर्जा पैनल भी जोड़े जाते हैं।
- Backhaul Link – BTS को MSC/EPC (core) से जोड़ता है। यह लिंक माइक्रोवेव, ऑप्टिकल फाइबर या कभी‑कभी सैटेलाइट के माध्यम से बनता है।
Working Process in Hindi
जब कोई उपयोगकर्ता फोन पर कॉल करता है, तो सबसे पहले उसका डिवाइस निकटवर्ती BTS से संपर्क बनाता है। BTS कॉल‑रेक्वेस्ट को BSC को अग्रेषित करता है, जहाँ Call Setup के लिए आवश्यक चैनल असाइन किया जाता है। यदि उपयोगकर्ता तेज़ी से चल रहा है तो BSC लगातार signal strength मापता है; जैसे ही पड़ोसी Cell का सिग्नल मज़बूत होने लगता है, handover command भेजी जाती है। यह पूरी प्रक्रिया seamless होती है जिससे कॉल ड्रॉप का अनुभव नहीं होता। डेटा सेवाओं के मामले में Packet Scheduler प्रत्येक सेक्टर में उपलब्ध Resource Blocks को यूज़र्स में बाँटता है, जिससे उच्च बिट‑रेट और कम latency सुनिश्चित होती है।
सुरक्षा हेतु प्रत्येक कॉल को encryption एल्गोरिद्म (उदाहरण: A5, SNOW 3G, AES) से एन्क्रिप्ट किया जाता है। इसके अतिरिक्त नेटवर्क समय‑समय पर Location Update करता है जिससे आपातकालीन सेवाएँ (112 नंबर) सटीक लोकेशन पर पहुँच सकें। इस प्रकार Cell संरचना उपकरणों से लेकर ऐन्टेना, बैकहॉल और नियंत्रक तक एक पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करती है।
Frequency reuse and cell splitting in Hindi
Concept of Frequency Reuse in Hindi
स्पेक्ट्रम एक सीमित प्राकृतिक संसाधन है, अतः अधिक से अधिक उपयोगकर्ताओं को सेवा देने के लिए Frequency Reuse की तकनीक अपनाई जाती है। इसका अर्थ है कि एक ही carrier frequency को भू‑भाग में इस तरह दोहराना कि दो समान फ़्रीक्वेन्सी वाले Cells आपस में पर्याप्त दूरी पर हों, जिससे Co‑Channel Interference नगण्य रहे। Cells का ऐसा समूह जिसमें सभी उपलब्ध फ़्रीक्वेन्सी एक‑बार प्रयोग हो जाती हैं, Cluster कहलाता है और cluster size को सामान्यतः N से सूचित किया जाता है (उदाहरण: N = 3, 4, 7, 12)।
Typical Cluster Patterns in Hindi
| Cluster Size (N) | Reuse Distance (D ≈ √3 N R) | उपयोग परिदृश्य (Use Case) |
|---|---|---|
| 3 | ≈ 3.46 R | Dense Urban, high capacity, LTE micro cells |
| 4 | ≈ 3.87 R | Sub‑urban, balanced capacity vs coverage |
| 7 | ≈ 5.20 R | Rural GSM macro cells, low interference |
Cell Splitting in Hindi
जब किसी क्षेत्र में ट्रैफ़िक घनत्व इतना बढ़ जाता है कि वर्तमान Cell की क्षमता कम पड़ने लगे, तो ऑपरेटर Cell Splitting तकनीक लागू करता है। इसमें बड़े Cell को दो या अधिक छोटे Cells में बाँट दिया जाता है, प्रत्येक के लिए एक नया BTS या small cell लगाया जाता है तथा उन्हें कम शक्ति (low transmit power) पर संचालित किया जाता है ताकि पड़ोसी Cells में हस्तक्षेप न उत्पन्न हो। Splitting से दो मुख्य लाभ मिलते हैं:
- Capacity Increase – छोटे Cell में कम उपयोगकर्ता होने से frequency channels को दोबारा उपयोग किया जा सकता है, जिससे प्रति वर्ग‑किलोमीटर उपलब्ध कुल चैनलों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है।
- Better Signal Quality – अन्दरूनी इमारतों या घने बाज़ारों में फ़ोन और BTS के बीच दूरी घटने से path‑loss कम होता है, इस कारण फोन को कम ट्रांसमिट पावर की आवश्यकता पड़ती है और बैटरी लाइफ़ बढ़ती है।
Practical Challenges in Hindi
यद्यपि Frequency Reuse एवं Cell Splitting से नेटवर्क क्षमता बढ़ती है, लेकिन Planning बहुत जटिल हो जाती है। हर नए BTS के लिए स्पेक्ट्रम असाइनमेंट, drive test, और interference matrix बनाना पड़ता है। इसके अतिरिक्त ऑपरेटर को Capital Expenditure (CAPEX) तथा Operational Expenditure (OPEX) में भी वृद्धि सहनी पड़ती है। इसलिए आधुनिक सिस्टम Self‑Organizing Networks (SON) व dynamic spectrum allocation का प्रयोग करते हैं ताकि कॉन्फ़िगरेशन स्वतः अनुकूल हो सके।
Role of Cell in Mobile Communication network in Hindi
Why Cells are Corner‑Stone of Mobile Communication in Hindi
यदि Mobile Communication में Cells का कांसेप्ट न होता, तो एक ही शहर में हज़ारों उपयोगकर्ताओं को अलग‑अलग फ़्रीक्वेन्सी देना असंभव हो जाता। Cells स्पेक्ट्रम को भौगोलिक खंडों में बाँट देते हैं, जिससे एक ही बैंड का पुनः‑उपयोग हो सके और करोड़ों उपभोक्ता एक साथ बात कर सकें। Capacity, Coverage और Quality—ये तीनों मूलभूत स्तंभ Cells के माध्यम से ही संतुलित होते हैं।
Key Roles Explained in Hindi
- Efficient Spectrum Utilization – Cell‑based डिजाइन स्पेक्ट्रम की spectral efficiency कई गुना बढ़ाता है। उच्च जनसंख्या क्षेत्रों में 900 MHz, 1800 MHz और 2300 MHz सभी बैंड को अलग‑अलग Cells में योजनाबद्ध करके बैंडविड्थ की अधिकतम उपयोगिता सुनिश्चित होती है।
- Interference Management – Sector Antenna, smart antenna, तथा beam‑forming के साथ Cells एक‑दूसरे के सिग्नल में दखल को नियंत्रित करते हैं, जिससे Voice Call की स्पष्टता तथा डेटा थ्रूपुट दोनों सुधरते हैं।
- Scalability & Upgradability – 2G से 3G, 4G और अब 5G तक का सफ़र Cell संरचना पर ही चलता है। नया eNodeB या gNodeB मौजूदा लोकेशन में जोड़ना तुलनात्मक रूप से सरल होता है, जिसके लिए केवल बैकहॉल और पावर का प्रबंध बढ़ाना पड़ता है।
- Localized Services – Emergency Alerts, Location‑based Advertising और edge computing जैसी सेवाएँ Cell‑स्तर पर लागू होती हैं, जिससे latency घटती है और उपयोगकर्ता को त्वरित सूचना मिलती है।
- Energy Optimization – Sleep Mode Cells तथा adaptive power control techniques ऊर्जा लागत घटाते हैं। आवश्यकता पड़ने पर Cell स्वतः सक्रिय होकर भीड़ के समय extra capacity प्रदान करते हैं—इसे Cell Breathing भी कहा जाता है।
Real‑Life Illustration in Hindi
मान लीजिए किसी स्टेडियम में क्रिकेट मैच चल रहा है। आयोजक अस्थायी Cell‑on‑Wheels (COW) लगा देते हैं ताकि मैच के दौरान लाखों फोटो‑वीडियो अपलोड करने वाले दर्शकों को भी तेज़ 5G सेवा मिले। मैच ख़त्म होते ही यह मोबाइल BTS हटा लिया जाता है—यानी Cells नेटवर्क को अनुकूलित करने की अद्भुत लचीलापन प्रदान करते हैं।