Notes in Hindi

Transparent Bridge: Working of Transparent Bridge in Hindi

Makhanlal Chaturvedi University / BCA / Computer Networks

Understanding Different Types of Network Bridges

Transparent Bridge: Working of Transparent Bridge in Hindi

Transparent Bridge नेटवर्किंग की दुनिया में एक ऐसा Bridge होता है जो पूरी तरह से अपने काम में पारदर्शी रहता है। इसका मतलब यह है कि यह नेटवर्क डिवाइस के लिए बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता, और यह बिना किसी बदलाव के डेटा को एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क तक पहुँचाता है। इसे "transparent" इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह नेटवर्क के बाकी हिस्सों के लिए बिलकुल छुपा रहता है, यानी इसका कोई पता या पहचान नेटवर्क डिवाइसों को नहीं होती।

Transparent Bridge मुख्यतः LAN (Local Area Network) में उपयोग किया जाता है ताकि अलग-अलग नेटवर्क सेगमेंट्स को जोड़कर डेटा ट्रैफिक को मैनेज किया जा सके। यह Bridge नेटवर्क के बीच डेटा फ्रेम्स को फॉरवर्ड या ब्लॉक करने का काम करता है, लेकिन यह काम अपने आप स्वचालित रूप से करता है, बिना यूजर को इसके बारे में सोचे।

Transparent Bridge का काम कैसे करता है?

  • MAC Address Learning: Transparent Bridge सबसे पहले नेटवर्क से आने वाले सभी फ्रेम्स के Source MAC Address को याद करता है। इससे यह पता चलता है कि कौन सा MAC Address किस पोर्ट से जुड़ा है। यह एक टेबल बनाता है जिसे Forwarding Table या Filtering Table कहते हैं।
  • Forwarding और Filtering: जब Bridge को कोई फ्रेम मिलता है, तो यह Destination MAC Address देखता है। अगर वह Address उसी पोर्ट से जुड़ा है जहाँ से फ्रेम आया है, तो फ्रेम को Drop कर देता है, ताकि नेटवर्क में अनावश्यक ट्रैफिक न बढ़े। यदि Destination MAC Address किसी दूसरे पोर्ट से जुड़ा है, तो फ्रेम को उस पोर्ट पर फॉरवर्ड कर देता है।
  • Broadcast Frames: अगर Destination Address Unknown होता है या Broadcast होता है, तो Bridge फ्रेम को नेटवर्क के सभी पोर्ट्स पर भेज देता है, सिवाय उस पोर्ट के जहाँ से फ्रेम आया था।

Transparent Bridge का एक बड़ा फायदा यह है कि यह नेटवर्क की Efficiency बढ़ाता है क्योंकि यह केवल जरूरी फ्रेम्स को ही फॉरवर्ड करता है, और बाकी फ्रेम्स को रोककर नेटवर्क ट्रैफिक कम करता है। यह Bridge OSI मॉडल के Data Link Layer (Layer 2) पर काम करता है और इसमें IP Address का कोई रोल नहीं होता।

Source Routing Bridge: Token Ring Bridge Type in Hindi

Source Routing Bridge एक खास तरह का Bridge होता है जो Token Ring नेटवर्क में बहुत ज्यादा उपयोग होता है। Token Ring नेटवर्क एक विशेष LAN टोपोलॉजी है जिसमें डेटा एक चक्र (Ring) के रूप में घूमता है। इस नेटवर्क में डेटा को भेजने के लिए एक Token का उपयोग किया जाता है, जो नेटवर्क पर डेटा ट्रांसमिशन की अनुमति देता है।

Source Routing Bridge का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यह डेटा के ट्रांसमिशन का रास्ता (Route) Source यानी Data भेजने वाले डिवाइस द्वारा निर्धारित करता है। मतलब, डेटा भेजने वाला कंप्यूटर पहले से ही यह तय करता है कि डेटा को नेटवर्क में कौन-कौन से Bridge या Nodes से होकर जाना है। इस तरह का Routing ब्रिज नेटवर्क में ट्रैफिक को नियंत्रित करने और सही मार्ग निर्धारित करने के लिए उपयोगी होता है।

Source Routing Bridge कैसे काम करता है?

  • Route Discovery: जब कोई कंप्यूटर डेटा भेजना चाहता है, तो वह नेटवर्क में एक Route Discovery Process शुरू करता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि डेटा को किस मार्ग से भेजना है।
  • Source Routing Header: डेटा पैकेट में Source Routing Header जोड़ा जाता है जिसमें पूरे मार्ग की जानकारी होती है। यह Header बताता है कि डेटा को किस- किस Bridge और Nodes से गुजरना है।
  • Bridges का रोल: हर Source Routing Bridge इस Header को पढ़ता है और डेटा को अगली सही जगह पर भेजता है। अगर रास्ता सही है, तो डेटा तेजी से और बिना गलती के पहुंचता है।
  • Network Control: Source Routing Bridge नेटवर्क ट्रैफिक को बेहतर ढंग से मैनेज करता है क्योंकि यह नेटवर्क की पूर्ण जानकारी लेकर काम करता है, जिससे Loop और Collision की समस्या कम हो जाती है।

Source Routing Bridge Token Ring नेटवर्क के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है और यह Token Ring के नियमों और प्रक्रिया के अनुसार काम करता है। यह ब्रिज नेटवर्क की जटिलता को कम करता है और डेटा की सही डिलीवरी सुनिश्चित करता है।

Translational Bridge: Converting LAN Standards in Hindi

Translational Bridge एक बहुत ही खास Bridge होता है जिसका मुख्य काम अलग-अलग LAN standards के बीच डेटा का आदान-प्रदान करना होता है। आजकल के नेटवर्क में कई तरह के LAN स्टैंडर्ड्स होते हैं जैसे Ethernet, Token Ring, FDDI आदि। ये सब अलग-अलग तरह के Frame Format और Protocols का उपयोग करते हैं। Translational Bridge इन्हें एक-दूसरे के साथ जोड़ता है ताकि वे आसानी से संवाद कर सकें।

इसका मतलब यह हुआ कि जब दो अलग-अलग LAN standards वाले नेटवर्क को जोड़ना हो, तो Translational Bridge उनके बीच एक पुल का काम करता है। यह Bridge दोनों नेटवर्क के Frame Formats को समझता है और आवश्यकतानुसार Data Frames को एक फॉर्मेट से दूसरे फॉर्मेट में बदल देता है।

Translational Bridge कैसे काम करता है?

  • Frame Conversion: जब डेटा एक LAN से दूसरे LAN में जाता है, तो Translational Bridge डेटा के Frame को पुराने Format से नए Format में बदल देता है ताकि दूसरा नेटवर्क उसे सही तरीके से समझ सके।
  • Protocol Translation: यह Bridge Protocols के बीच भी Conversion करता है, जिससे विभिन्न नेटवर्क प्रोटोकॉल के बीच सही संचार संभव हो पाता है।
  • Address Mapping: Translational Bridge MAC Address को सही से मैप करता है ताकि नेटवर्क की पहचान और डेटा की डिलीवरी में कोई गड़बड़ी न हो।
  • Filtering & Forwarding: यह Bridge फ्रेम्स को आवश्यकतानुसार फ़िल्टर करता है और सही नेटवर्क सेगमेंट में फॉरवर्ड करता है।

Translational Bridge का उपयोग मुख्य रूप से उन नेटवर्क में किया जाता है जहाँ विभिन्न LAN तकनीकों को एक साथ जोड़ना होता है। यह नेटवर्क के interoperability को बढ़ाता है और नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर को विभिन्न नेटवर्क उपकरणों का उपयोग करने की सुविधा देता है।

Bridge Type Comparison: Choosing Right Bridge in Hindi

Network Bridge चुनते समय यह समझना जरूरी होता है कि विभिन्न प्रकार के Bridge अलग-अलग नेटवर्किंग जरूरतों के लिए उपयुक्त होते हैं। सही Bridge का चुनाव नेटवर्क की कार्यक्षमता, गति, और विश्वसनीयता को प्रभावित करता है। आइए अब हम चार मुख्य Bridge Types का तुलना करें ताकि आप सही निर्णय ले सकें।

Bridge Type Working Principle Usage Scenario Advantages Limitations
Transparent Bridge MAC Address सीखकर फ्रेम फॉरवर्ड करता है Ethernet नेटवर्क, LAN Segmentation स्वचालित, सरल, कम कॉन्फ़िगरेशन, तेज़ Layer 2 पर ही काम करता है, IP लेवल कंट्रोल नहीं
Source Routing Bridge Source द्वारा निर्धारित Route के अनुसार फ्रेम भेजना Token Ring नेटवर्क्स रूट कंट्रोल बेहतर, Loop कम सिर्फ Token Ring के लिए, जटिल
Translational Bridge फ्रेम और प्रोटोकॉल को एक LAN से दूसरे LAN में कन्वर्ट करना विभिन्न LAN standards को जोड़ने के लिए नेटवर्क interoperability बढ़ाता है कॉन्फ़िगरेशन जटिल, लागत ज्यादा हो सकती है

Bridge Type चुनते समय ध्यान देने योग्य बातें

  • नेटवर्क टोपोलॉजी और स्टैंडर्ड: आपका नेटवर्क कौन सा standard (Ethernet, Token Ring आदि) इस्तेमाल करता है, इसे समझना जरूरी है। Token Ring नेटवर्क में Source Routing Bridge बेहतर है, जबकि Ethernet में Transparent Bridge।
  • नेटवर्क के बीच Interoperability: यदि आपको अलग-अलग नेटवर्क तकनीकों को जोड़ना है, तो Translational Bridge सबसे उपयुक्त होगा क्योंकि यह Frame और Protocol Conversion करता है।
  • नेटवर्क का साइज और जटिलता: छोटे और साधारण नेटवर्क के लिए Transparent Bridge ज्यादा आसान और प्रभावी रहता है। जटिल नेटवर्क या Token Ring में Source Routing Bridge बेहतर काम करता है।
  • किफायती और सरलता: Transparent Bridge सबसे सरल और सस्ता होता है। Translational Bridge महंगा और कॉन्फ़िगरेशन में कठिन हो सकता है।

सही Bridge चुनना नेटवर्क की क्षमता को बढ़ाने और नेटवर्क पर डेटा के प्रभावी प्रबंधन के लिए जरूरी होता है। इससे नेटवर्क की performance बेहतर होती है और नेटवर्किंग समस्याएं कम होती हैं।

FAQs

Transparent Bridge एक ऐसा नेटवर्क डिवाइस है जो MAC Address सीखकर डेटा को एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क तक फॉरवर्ड करता है। यह अपने काम में पूरी तरह से पारदर्शी होता है, यानी नेटवर्क के बाकी हिस्सों को इसका पता नहीं चलता।
Source Routing Bridge डेटा को भेजने वाले डिवाइस द्वारा निर्धारित मार्ग के अनुसार काम करता है। यह Token Ring नेटवर्क में इस्तेमाल होता है जहाँ डेटा पैकेट में पूरे रास्ते की जानकारी होती है और ब्रिज उस मार्ग पर डेटा को भेजता है।
Translational Bridge अलग-अलग LAN standards जैसे Ethernet और Token Ring के बीच डेटा को कन्वर्ट करता है ताकि वे एक-दूसरे के साथ संवाद कर सकें। यह Frame Format और Protocol Conversion करता है।
Ethernet नेटवर्क के लिए Transparent Bridge सबसे उपयुक्त होता है क्योंकि यह स्वचालित MAC Address सीखकर नेटवर्क ट्रैफिक को बेहतर ढंग से मैनेज करता है और सरल तथा किफायती होता है।
Translational Bridge का उपयोग तब करना चाहिए जब आपको अलग-अलग LAN standards वाले नेटवर्क्स को आपस में जोड़ना हो, ताकि वे एक-दूसरे के डेटा और प्रोटोकॉल को समझ सकें और सही तरीके से संवाद कर सकें।

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