Topology: Introduction to Network Topology in Hindi
Makhanlal Chaturvedi University / BCA / Computer Networks
Network Topology Explained
Topology: Introduction to Network Topology in Hindi
नेटवर्क टोपोलॉजी (Network Topology) का मतलब होता है उस तरीके से कंप्यूटर या डिवाइस एक नेटवर्क में जुड़े होते हैं। यानी, जब हम किसी कंप्यूटर नेटवर्क को बनाते हैं, तो नेटवर्क के अंदर जो भी डिवाइस होते हैं जैसे कंप्यूटर, प्रिंटर, सर्वर आदि, उन्हें आपस में जोड़ने का एक खास arrangement होता है। इस arrangement को ही टोपोलॉजी कहते हैं। यह arrangement यह बताता है कि नेटवर्क में डिवाइस कैसे कनेक्टेड हैं और डेटा कैसे एक जगह से दूसरी जगह जाता है।
नेटवर्क टोपोलॉजी का सही चुनाव बहुत ज़रूरी होता है क्योंकि यह नेटवर्क की स्पीड, भरोसेमंदता (reliability), और मेंटेनेंस (maintenance) को प्रभावित करता है। अलग-अलग नेटवर्क टोपोलॉजी के अलग-अलग फायदे और नुकसान होते हैं। इसलिए सीखना ज़रूरी है कि कौन सी टोपोलॉजी कब और कैसे यूज़ करनी चाहिए।
नेटवर्क टोपोलॉजी को मुख्य रूप से दो प्रकार में बांटा जाता है: फिजिकल टोपोलॉजी और लॉजिकल टोपोलॉजी। फिजिकल टोपोलॉजी बताती है कि डिवाइस शारीरिक रूप से कैसे कनेक्टेड हैं, जबकि लॉजिकल टोपोलॉजी बताती है कि डेटा नेटवर्क में किस रास्ते से गुजरता है। हम यहाँ फिजिकल टोपोलॉजी के बारे में बात करेंगे, क्योंकि यह आम तौर पर ज्यादा समझने में आसान होती है।
Network Topology के मुख्य प्रकार:
- Star Topology
- Bus Topology
- Ring Topology
इन टोपोलॉजी के बारे में विस्तार से समझेंगे ताकि आपको अच्छे से पता चल सके कि ये कैसे काम करती हैं, इनके फायदे और नुकसान क्या हैं।
Star Topology: Working and Advantages in Hindi
Star Topology में सारे डिवाइस एक सेंट्रल डिवाइस से जुड़े होते हैं। यह सेंट्रल डिवाइस अक्सर एक Hub, Switch या Router होता है। इसमें सभी कंप्यूटर या नेटवर्क डिवाइस के कनेक्शन सीधे सेंट्रल डिवाइस से होते हैं, जैसे सितारों (stars) की किरणें केंद्र की ओर।
डेटा ट्रांसफर का तरीका इस तरह होता है कि कोई भी डिवाइस जब डेटा भेजता है तो वह पहले सेंट्रल डिवाइस तक जाता है, और फिर सेंट्रल डिवाइस उस डेटा को लक्ष्य डिवाइस तक पहुंचाता है। इसलिए, यहाँ एक मध्यस्थ (intermediary) की भूमिका निभाई जाती है।
Star Topology कैसे काम करती है?
- सभी डिवाइस केबल से सेंट्रल Hub या Switch से जुड़े होते हैं।
- जब कोई डिवाइस डेटा भेजता है, तो यह सीधे Hub या Switch को जाता है।
- Hub/Switch फिर डेटा को सही डिवाइस पर फॉरवर्ड करता है।
- इसमें डेटा का ट्रैफिक कंट्रोल आसान होता है।
Star Topology के फायदे
- सरल Troubleshooting: अगर कोई डिवाइस या केबल खराब हो जाए, तो नेटवर्क का बाकी हिस्सा प्रभावित नहीं होता। क्योंकि हर डिवाइस अलग से सेंट्रल हब से जुड़ा है।
- अच्छी परफॉर्मेंस: क्योंकि डेटा सेंट्रल डिवाइस के जरिए भेजा जाता है, इसलिए नेटवर्क में डाटा कॉलेजन (collision) कम होती है।
- स्केलेबिलिटी (Scalability): नए डिवाइस को जोड़ना आसान होता है। बस केबल को हब या स्विच से कनेक्ट करना होता है।
- मध्यस्थ डिवाइस की भूमिका: Hub/Switch नेटवर्क को मैनेज करने में मदद करता है, जिससे नेटवर्क व्यवस्थित रहता है।
Star Topology के नुकसान
- अगर सेंट्रल हब या स्विच फेल हो जाए, तो पूरा नेटवर्क डाउन हो जाता है। इसलिए सेंट्रल डिवाइस पर नेटवर्क की निर्भरता ज्यादा होती है।
- यह टोपोलॉजी केबल की मात्रा ज्यादा लेती है क्योंकि हर डिवाइस को सीधे हब से कनेक्ट करना पड़ता है।
Bus Topology: Characteristics and Use Cases in Hindi
Bus Topology में सभी डिवाइस एक सिंगल कॉमन केबल या लाइन से जुड़े होते हैं, जिसे Backbone कहा जाता है। यह टोपोलॉजी आसान और सस्ती होती है, लेकिन इसके कुछ खास नियम होते हैं जिससे नेटवर्क काम करता है। सभी डिवाइस इसी एक लाइन पर लगे होते हैं और डेटा भी इसी लाइन से गुजरता है।
इसमें डेटा एक डिवाइस से भेजा जाता है और वह लाइन पर सभी डिवाइस तक पहुंचता है, लेकिन इसे केवल वह डिवाइस स्वीकार करता है जिसका पता डेटा में होता है। यह एक तरह से सिंगल कॉमन टॉकिंग चैनल जैसा होता है।
Bus Topology की विशेषताएँ (Characteristics)
- सभी कंप्यूटर एक लाइन में केबल से जुड़े होते हैं, जिसे Backbone केबल कहते हैं।
- डेटा लाइन में सभी तक जाता है, लेकिन केवल सही डिवाइस उसे स्वीकार करता है।
- इस टोपोलॉजी में दोनों सिरों पर Terminator लगे होते हैं ताकि सिग्नल वापस न लौटे।
- यह नेटवर्क स्थापित करना आसान और सस्ता होता है।
Bus Topology के उपयोग (Use Cases)
- छोटे ऑफिस या होम नेटवर्क में जहां कंप्यूटरों की संख्या कम होती है।
- जब लागत कम रखनी हो और इंस्टालेशन सरल हो।
- पुराने नेटवर्क सेटअप में इसका इस्तेमाल होता था क्योंकि यह कम जटिल था।
Bus Topology के फायदे
- इंस्टालेशन और विस्तार में सरल।
- कम केबल की जरूरत होती है, जिससे लागत कम होती है।
- नेटवर्क को समझना और मैनेज करना आसान।
Bus Topology के नुकसान
- अगर Backbone केबल टूट जाए या खराब हो जाए, तो पूरा नेटवर्क प्रभावित होता है।
- डेटा ट्रांसमिशन में टकराव (collision) ज्यादा होता है, जिससे नेटवर्क धीमा हो सकता है।
- स्केलेबिलिटी कम होती है, ज्यादा डिवाइस जोड़ने पर नेटवर्क की परफॉर्मेंस घट जाती है।
Ring Topology: Features and Limitations in Hindi
Ring Topology में सभी डिवाइस एक-दूसरे से कनेक्ट होकर एक बंद लूप (loop) बनाते हैं। इसका मतलब है कि डेटा एक डिवाइस से निकलकर अगले डिवाइस तक पहुंचता है और फिर अगले तक, इसी तरह पूरी रिंग के माध्यम से चलता रहता है। अंत में डेटा फिर से उसी डिवाइस पर वापस आ जाता है।
इस टोपोलॉजी में डेटा एक ही दिशा में या कभी-कभी दोनों दिशाओं में घूम सकता है। हर डिवाइस के पास एक नेटवर्क एड्रेस होता है जो डेटा को सही जगह भेजने में मदद करता है।
Ring Topology की विशेषताएँ (Features)
- डिवाइस एक बंद लूप में जुड़े होते हैं, जिससे नेटवर्क एक सर्किल बनाता है।
- डेटा पैकेट हर डिवाइस से होकर गुजरता है, जो उसे अगले डिवाइस पर भेजता है।
- डेटा ट्रांसमिशन आमतौर पर एक दिशा में होता है, जिससे डेटा टकराव कम होता है।
- नेटवर्क में टोकन पाशिंग (Token Passing) का उपयोग होता है ताकि नेटवर्क कंट्रोल हो।
Ring Topology के लाभ
- डेटा टकराव (collision) की संभावना बहुत कम होती है क्योंकि डेटा एक दिशा में चलता है।
- नेटवर्क परफॉर्मेंस स्थिर रहती है, खासकर जब डिवाइस की संख्या ज्यादा हो।
- हर डिवाइस को डेटा ट्रांसमिशन का मौका मिलता है।
Ring Topology की सीमाएँ (Limitations)
- अगर नेटवर्क में किसी भी एक डिवाइस या लिंक में खराबी आ जाए तो पूरा नेटवर्क डाउन हो सकता है।
- रिंग को ठीक करना मुश्किल होता है क्योंकि एक भी खराबी पूरी रिंग को प्रभावित करती है।
- नेटवर्क को बढ़ाना या घटाना मुश्किल होता है, क्योंकि रिंग को तोड़कर फिर से जोड़ना पड़ता है।
Ring Topology कब उपयोग करें?
- जहाँ नेटवर्क की ट्रैफिक नियंत्रित हो और टकराव कम से कम हो।
- जब नेटवर्क के डिवाइस की संख्या स्थिर हो और बहुत ज्यादा बढ़नी नहीं हो।
- मध्यम आकार के ऑफिस या लैब नेटवर्क में इसका उपयोग किया जाता है।