ISDN History: Evolution and Development in Hindi
Makhanlal Chaturvedi University / BCA / Computer Networks
ISDN: Integrated Services Digital Network Guide in Hindi
ISDN Comprehensive Guide in Hindi
ISDN History: Evolution and Development in Hindi
ISDN यानी Integrated Services Digital Network विचार सबसे पहले 1960 के दशक के अंत में उभरा, जब PSTN (Public Switched Telephone Network) केवल analog voice ट्रैफ़िक संभाल रहा था। उस समय टेलीफ़ोन कंपनियों को यह महसूस हुआ कि अगर वही तांबा‑केबल डिजिटल सिग्नल भी पहुँचा सके तो voice, data और video—तीनों सेवाएँ एकसाथ दी जा सकती हैं। सबसे पहले 1968 में Bell Labs ने डिजिटल ट्रांसमिशन पर शोध शुरू किया, जिसके बाद 1970 के दशक में Time‑Division Multiplexing (TDM) आधारित digital loop carrier systems आए। यह ISDN का बीज था क्योंकि इन्हीं प्रयोगों ने दिखाया कि पारंपरिक तांबे की लाइन पर भी 64 kbps की एकल B‑channel संभव है। 1980 के दशक की शुरुआत तक CCITT (आज का ITU‑T) ने एक विश्व‑मानक डिजिटल नेटवर्क की आवश्यकता को औपचारिक रूप दिया। 1984 में CCITT ने ISDN के लिए पहली I‑Series Recommendations प्रकाशित की, जिन्होंने दो प्रमुख यूज़र एक्सेस—BRI (Basic Rate Interface) तथा PRI (Primary Rate Interface)—परिभाषित किए। भारत में Department of Telecommunications (DoT) ने 1995 में दिल्ली व मुंबई में ISDN पायलट सेवा शुरू की; अगले पाँच वर्षों में यह सेवा 20 से अधिक शहरों में पहुँची। जापान, जर्मनी तथा फ्रांस जैसे देशों में यही कालखंड ISDN home‑office connectivity का स्वर्ण युग बना।
- 1984 – CCITT I‑Series Recommendations प्रकाशित।
- 1988 – JISDN (Japan ISDN) व N‑ISDN (North‑American ISDN) टेस्ट‑बेड शुरु।
- 1991 – यूरोप में Euro‑ISDN के मानक तय हुए, जिससे अंतर‑देश कनेक्टिविटी सरल बनी।
- 1995 – भारत में पहली बार 128 kbps डेडिकेटेड ISDN BRI लास्ट‑माइल सेवा उपलब्ध हुई।
- 2000 के बाद DSL व Cable Broadband के उभरने से ISDN की लोकप्रियता घटने लगी, पर दूरदराज के इलाकों में ISDN बैक‑अप लिंक आज भी प्रयोग में हैं।
ISDN Standardization: ITU and Protocols in Hindi
International Telecommunication Union (ITU‑T) वह वैश्विक संगठन है जिसने ISDN के लिए I‑Series Recommendations जारी कीं। इन दस्तावेज़ों ने Layered Architecture अपनाया ताकि मैन्युफ़ैक्चरर‑इंटरऑपरेबिलिटी सुनिश्चित हो। निम्न तालिका कुछ प्रमुख मानकों का सारांश देती हैः
| Recommendation | मुख्य उद्देश्य | OSI Layer |
|---|---|---|
| I.430 | BRI Physical Interface (2B + D) | Physical |
| I.431 | PRI Physical Interface (30B + D या 23B + D) | Physical |
| Q.921 | D‑channel Data Link (LAPD protocol) | Data Link |
| Q.931 | Call Control Signalling | Network |
| I.462 | x.25 packet transfer over B‑channel | Network |
| I.500‑Series | Supplementary Services (CLIP, CFU, 3‑Way Call) | Application |
Layer‑wise Protocol Stack देखने पर सबसे नीचे I.430/I.431 हैं जो फ़िज़िकल‑लाइन इलेक्ट्रीकल पैरामीटर परिभाषित करते हैं। इनके ऊपर Q.921 Logical Link Control चलाता है और हर D‑channel फ्रेम में SAPI (Service Access Point Identifier) व TEI (Terminal Endpoint Identifier) जोड़ता है। फिर Q.931 SETUP → CONNECT → RELEASE संदेशों द्वारा कॉल‑कंट्रोल संभालता है, जबकि B‑channel पूरी तरह ट्रांसपैरेंट 64 kbps पाइप प्रदान करता है, जिस पर Voice, Fax G3, x.25 या High‑Quality Audio कुछ भी चल सकता है।
ISDN Adoption: Growth and Use in Various Countries in Hindi
ISDN का प्रसार क्षेत्रीय नीतियों व टैरिफ़ पर निर्भर रहा। नीचे कुछ देशों के केस‑स्टडीज हैंः
- जापान – 1990 के दशक में Nippon Telegraph & Telephone (NTT) ने JISDN के माध्यम से videophone सेवा लाँच की। 2003 तक 8 मिलियन से अधिक ISDN सब्सक्राइबर थे।
- जर्मनी – Deutsche Telekom ने T‑ISDN ब्रांड से BRI किट्स बेचे, जिससे Small Office‑Home Office (SOHO) यूज़र एक ही लाइन पर दो समांतर फ़ोन नंबर व 64 kbps डेटा पा सके।
- संयुक्त राज्य – यहाँ ISDN महँगा रहा क्योंकि Regional Bell Operating Companies (RBOCs) ने किलोबिट‑चार्ज लागू किए। परिणामतः DSL आते ही लोग ISDN छोड़ गए।
- भारत – ISDN मुख्यतः बैंकिंग लेन‑देन, Frame‑Relay backup और टैलीवीज़न चैनलों के OB Vans में उपयोग हुआ। अभी भी अनेक रेडियो‑स्टेशनों के बीच हाई‑क्वॉलिटी MPEG Layer‑II ऑडियो फीड ISDN पर चलता है।
- ऑस्ट्रेलिया – दूरदराज़ खेतों व खनन‑साइट्स पर ISDN सैटेलाइट बैक‑हॉल के मुक़ाबले सस्ता पड़ा। यहाँ Telstra ने 2018 में ISDN नेटवर्क बंद करने की तारीख़ घोषित की पर आधारभूत क्षेत्रों के लिए वैकल्पिक समाधानों का विकल्प दिया।
Adoption Drivers में Multiple Directory Numbers (MSNs), तेज कॉल‑सेटअप टाइम, और 64 kbps clear‑channel शामिल थे, जबकि Cost, DSL competition तथा FCC Spectrum Unbundling जैसे कारक बाधाएँ बने।
ISDN to Broadband Transition in Hindi
1998 के बाद जैसे‑जैसे ADSL व केबल‑modem तकनीक सस्ती हुई, ISDN धीरे‑धीरे narrowband backup रोल तक सिमटने लगी। इस परिवर्तन को समझने के लिए नीचे तालिका देखिए:
| पैरामीटर | ISDN BRI | ADSL2+ | FTTH (GPON) |
|---|---|---|---|
| डाउन‑लिंक स्पीड | 128 kbps तक (2×B) | 24 Mbps | 1 Gbps+ |
| अप‑लिंक स्पीड | 128 kbps | 1–3 Mbps | 1 Gbps+ |
| माध्यम | तांबा‑twisted pair | तांबा‑twisted pair | Fiber‑to‑the‑Home |
| CPE लागत | ₹15‑20k (ISDN TA/NT1) | ₹1.5‑3k (ADSL modem) | ₹3‑5k (ONT) |
| Latency | < 10 ms (स्थायी 64 kbps pipe) | 15‑40 ms | < 5 ms |
Transition Strategy के तहत कई ऑपरेटरों ने DSL over ISDN (Annex B) मॉडल अपनाया, जहाँ एक ही लाइन पर ISDN B‑channel व ADSL high‑frequency साथ‑साथ चलते थे। इससे ग्राहकों को नंबर पोर्ट करने की आवश्यकता नहीं पड़ी। आज SIP‑Trunking तथा VoIP over FTTH ने Q.931 एवं B‑channel कॉल कैरीयर को प्रतिस्थापित कर दिया है, पर QoS (Quality of Service) सुनिश्चित करने के लिए कई एंटरप्राइज़ ISDN‑PRI से SIP PRI‑Gateway में रूपांतरण कर रहे हैं। आगे चलकर 5G FWA और L‑band Satellite Backhaul भी उन्हीं ग्राहकों को लक्षित कर रहे हैं जो कभी ISDN उपयोग करते थे—यानी reliable dedicated bandwidth चाहने वाले रिमोट यूज़र।
Key Takeaways in Hindi
- ISDN ने पहली बार पारंपरिक टेलीफ़ोन नेटवर्क को digitally circuit‑switched बनाया, जिससे एक ही लाइन पर voice + data + video संभव हुआ।
- ITU‑T की I‑Series एवं Q‑Series Recommendations ने परत‑आधारित ढाँचा दिया, जिसमें Physical (I.430/I.431) से लेकर Application (I.500) तक हरेक स्तर पर मानक तय हुए।
- विश्व‑स्तर पर ISDN की लोकप्रियता अलग‑अलग टैरिफ़ एवं लोकल‑लूप स्थितियों की वजह से भिन्न रही; जापान व जर्मनी में घर‑घर पहुँचा जबकि अमेरिका में सीमित रहा।
- ADSL, Cable, और अब FTTH के आगमन ने ISDN को niche backup क्षेत्र तक सीमित किया, पर ISDN‑PRI आज भी बहुत‑सी ब्रॉडकास्ट व बैंकिंग लिंक के लिए विश्वसनीय माध्यम है।
- आगामी All‑IP युग में, ISDN का मुख्य योगदान protocol discipline और QoS‑centric design philosophy के रूप में माना जाता रहेगा, जिसे मॉडर्न SIP नेटवर्क ने आत्मसात किया है।