Notes in Hindi

Router: Introduction to Router Device in Hindi

Makhanlal Chaturvedi University / BCA / Computer Networks

Router Device and Its Functions

Router: Introduction to Router Device in Hindi

राउटर (Router) एक ऐसा electronic device है जो network devices को आपस में जोड़ता है। यह इंटरनेट या किसी भी Local Area Network (LAN) के अंदर अलग-अलग नेटवर्क्स के बीच डेटा packets को भेजने का काम करता है। सरल भाषा में समझें तो राउटर एक traffic controller की तरह काम करता है, जो यह तय करता है कि डेटा कहाँ से आना है और कहाँ जाना है।

राउटर नेटवर्क के devices जैसे computers, smartphones, printers को connect करता है ताकि वे एक-दूसरे से communicate कर सकें और इंटरनेट access कर सकें। राउटर IP address के आधार पर डेटा packets को सही जगह भेजता है। IP address एक unique पहचान होती है जो हर network device को दी जाती है।

राउटर का मुख्य काम नेटवर्क traffic को manage करना होता है, ताकि डेटा तेज़ी से और सही तरीके से अपने destination तक पहुंच सके। यह wired और wireless दोनों तरह के नेटवर्क में इस्तेमाल किया जाता है।

राउटर के प्रमुख components और working

  • Interfaces: राउटर में कई तरह के physical और logical interfaces होते हैं, जो अलग-अलग networks से जुड़े होते हैं।
  • Processor: राउटर का processor routing decisions लेता है और data packets को process करता है।
  • Routing Table: यह एक internal database होता है जिसमें नेटवर्क के बारे में जानकारी होती है कि कौन सा नेटवर्क कहाँ स्थित है। यह table राउटर को बताता है कि packet को किस route पर भेजना है।
  • Firmware/Software: राउटर के अंदर software होता है जो routing protocols को follow करता है और network communication को manage करता है।

राउटर का काम नेटवर्क layer (OSI मॉडल की Layer 3) पर होता है, जहाँ यह IP addresses को समझता है और उनके आधार पर routing करता है। इसलिए राउटर को Layer 3 device भी कहा जाता है।

Router Function: Routing and Packet Forwarding in Hindi

राउटर की सबसे महत्वपूर्ण function होती है routing और packet forwarding। आइए इसे सरल भाषा में समझते हैं।

Routing क्या है?

  • Routing का मतलब होता है डेटा packets को source से destination तक भेजने के लिए सही रास्ता (path) चुनना।
  • जब कोई डेटा packet एक network से दूसरे network में जाता है, तो राउटर यह तय करता है कि packet को कौन से मार्ग से भेजना है ताकि वह तेजी और सुरक्षित रूप से पहुँच जाए।
  • राउटर routing table का इस्तेमाल करता है, जिसमें नेटवर्क के अलग-अलग रास्तों की जानकारी होती है।

Packet Forwarding क्या है?

  • Packet forwarding का मतलब है राउटर द्वारा प्राप्त किए गए डेटा packets को उनके destination IP address के आधार पर आगे भेजना।
  • राउटर यह जांचता है कि packet किस नेटवर्क के लिए है और routing table देखकर packet को next hop (अगले network या device) पर भेजता है।
  • इस प्रक्रिया में राउटर packet को खोने या गलती से गलत जगह भेजने से बचाता है।

Routing कैसे काम करता है?

  • जब packet राउटर में आता है, तो राउटर सबसे पहले packet header में लिखे destination IP address को पढ़ता है।
  • फिर routing table में देखता है कि इस IP address के लिए कौन सा best path उपलब्ध है।
  • इसके बाद packet को सही interface के माध्यम से अगली जगह भेज देता है।
  • यह process network के हर hop पर दोहराई जाती है जब तक packet अपने destination तक नहीं पहुँच जाता।

Routing Protocols

राउटर routing table को update करने के लिए अलग-अलग protocols का इस्तेमाल करता है। ये protocols नेटवर्क के devices के बीच जानकारी share करते हैं ताकि routing tables हमेशा accurate रहें। कुछ प्रमुख routing protocols हैं:

  • RIP (Routing Information Protocol)
  • OSPF (Open Shortest Path First)
  • BGP (Border Gateway Protocol)

Static vs Dynamic Routing in Hindi

Routing के दो मुख्य प्रकार होते हैं: Static Routing और Dynamic Routing। दोनों की अपनी-अपनी खासियतें और उपयोग के क्षेत्र होते हैं। नीचे विस्तार से समझाते हैं।

Static Routing क्या है?

  • Static Routing में network administrator manually routes को configure करता है।
  • यह एक fixed route होता है जो खुद administrator द्वारा set किया जाता है और राउटर इसे अपनी routing table में सेव कर लेता है।
  • Static routing छोटे नेटवर्क या ऐसे नेटवर्क के लिए अच्छा होता है जहाँ नेटवर्क structure ज्यादा change नहीं होता।
  • Static routing में routing decisions तेज होते हैं क्योंकि route पहले से तय होता है, लेकिन यदि नेटवर्क में बदलाव होता है तो manual update करना पड़ता है।

Dynamic Routing क्या है?

  • Dynamic Routing में राउटर अपने आप नेटवर्क की जानकारी इकट्ठा करता है और routes dynamically बनाता है।
  • राउटर अलग-अलग routing protocols का इस्तेमाल करके नए रास्तों को सीखता है और अपनी routing table को update करता रहता है।
  • यह बड़े और complex नेटवर्क के लिए उपयुक्त होता है जहाँ नेटवर्क में अक्सर बदलाव होते रहते हैं।
  • Dynamic routing नेटवर्क को ज्यादा flexible बनाता है, लेकिन इसकी processing static routing की तुलना में थोड़ी ज्यादा होती है।

Static Routing और Dynamic Routing के बीच तुलना

विशेषता (Feature) Static Routing Dynamic Routing
Configuration Manually administrator द्वारा set किया जाता है। Automatically राउटर द्वारा protocol के जरिए manage होता है।
Network Size छोटे नेटवर्क के लिए उपयुक्त। बड़े और complex नेटवर्क के लिए बेहतर।
Flexibility कम, route change होने पर manual update जरूरी। ज्यादा, routes automatically update होते रहते हैं।
Overhead कम, कोई extra processing नहीं। ज्यादा, routing protocols के कारण CPU और memory इस्तेमाल होती है।
Speed तेज़, क्योंकि route fixed होता है। थोड़ा धीमा, क्योंकि route calculate करना पड़ता है।

Router Use in Home and Office Networks in Hindi

राउटर आज के समय में घरों और ऑफिस दोनों जगहों पर नेटवर्क को जोड़ने और इंटरनेट को distribute करने के लिए बहुत जरूरी डिवाइस बन गया है। आइए विस्तार से समझते हैं कि राउटर किस प्रकार इन environments में काम करता है।

Home Network में Router का उपयोग

  • घर में राउटर का मुख्य काम होता है इंटरनेट connection को एक जगह से लेकर अलग-अलग devices तक पहुंचाना।
  • राउटर आमतौर पर ISP (Internet Service Provider) से आने वाले इंटरनेट को receive करता है और फिर इसे wired या wireless (Wi-Fi) के जरिए घर के devices जैसे मोबाइल, लैपटॉप, smart TV आदि तक distribute करता है।
  • Wi-Fi राउटर घर के अंदर wireless नेटवर्क बनाता है, जिससे multiple devices बिना wires के जुड़ सकते हैं।
  • घर के राउटर में firewall और security settings भी होती हैं, जो बाहरी hackers और malware से घर के नेटवर्क को सुरक्षित रखती हैं।

Office Network में Router का उपयोग

  • ऑफिस नेटवर्क में राउटर एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि ऑफिस में बहुत सारे कंप्यूटर और devices होते हैं जो नेटवर्क पर जुड़े होते हैं।
  • राउटर ऑफिस के अंदर अलग-अलग subnetworks (जैसे finance, HR, development) को जोड़ता है और इंटरनेट को सभी विभागों में पहुंचाता है।
  • बड़े ऑफिस में high-end routers का इस्तेमाल किया जाता है जो अधिक डेटा traffic को संभाल सकते हैं और बेहतर security features देते हैं।
  • राउटर VPN (Virtual Private Network) support भी कर सकता है, जिससे ऑफिस के remote employees सुरक्षित रूप से ऑफिस नेटवर्क से जुड़ सकते हैं।
  • Office router में advanced routing protocols और management tools होते हैं ताकि network की performance और security बनी रहे।

Router चुनते समय ध्यान देने वाली बातें

  • Speed और Bandwidth Support: राउटर को चुने ऐसा हो जो आपके इंटरनेट speed और data transfer के लिए उपयुक्त हो।
  • Security Features: Firewall, WPA3 encryption, और अन्य security protocols का होना जरूरी है ताकि नेटवर्क सुरक्षित रहे।
  • Number of Ports: Wired connections के लिए कितने ports चाहिए, यह ध्यान में रखें।
  • Wireless Standards: Wi-Fi 5 (802.11ac) या Wi-Fi 6 (802.11ax) जैसे standards को सपोर्ट करना बेहतर होता है।
  • Management Interface: राउटर का सेटअप और management आसान होना चाहिए ताकि बिना technical knowledge के भी आप इसे configure कर सकें।

FAQs

राउटर एक network device है जो अलग-अलग नेटवर्क्स को जोड़ता है और डेटा packets को सही जगह भेजने का काम करता है। यह नेटवर्क traffic को manage करता है और इंटरनेट access प्रदान करता है।
Routing में राउटर डेटा packets के destination IP address को पढ़कर routing table के आधार पर सबसे सही रास्ता चुनता है और packet को आगे भेजता है। यह प्रक्रिया हर hop पर दोहराई जाती है।
Static routing manually configure की जाती है और fixed route होता है, जबकि dynamic routing में राउटर अपने आप routes सीखता है और अपडेट करता रहता है। Static routing छोटे नेटवर्क के लिए और dynamic बड़े नेटवर्क के लिए उपयुक्त होती है।
राउटर इंटरनेट connection को multiple devices तक पहुंचाने और अलग-अलग नेटवर्क को जोड़ने के लिए इस्तेमाल होते हैं। घर में यह Wi-Fi नेटवर्क बनाता है और ऑफिस में नेटवर्क security और efficient communication के लिए जरूरी होता है।
Routing protocols ऐसे नियम होते हैं जिनका उपयोग राउटर अपनी routing tables को update करने के लिए करते हैं। जैसे RIP, OSPF, और BGP। ये protocols नेटवर्क की जानकारी साझा कर राउटर को बेहतर routes खोजने में मदद करते हैं।

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