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डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन का अवलोकन

ऑपरेटिंग सिस्टम में, डायरेक्टरी एक कंटेनर के रूप में कार्य करती है जो फ़ाइलों और फ़ोल्डरों को संग्रहीत करती है। यह फ़ाइलों को एक संरचित और व्यवस्थित तरीके से संग्रहीत करने के लिए आवश्यक है, जिससे फ़ाइलों की खोज, प्रबंधन और सुरक्षा में सहायता मिलती है। डायरेक्टरी संरचना फ़ाइल सिस्टम के प्रदर्शन और विश्वसनीयता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन के प्रकार

डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन के विभिन्न प्रकार हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:

  • सिंगल-लेवल डायरेक्टरी (Single-Level Directory): इस संरचना में सभी फ़ाइलें एक ही डायरेक्टरी में संग्रहीत होती हैं, जिससे फ़ाइलों की खोज सरल होती है, लेकिन फ़ाइल नामों में टकराव (name collision) की संभावना होती है।
  • टू-लेवल डायरेक्टरी (Two-Level Directory): इसमें प्रत्येक उपयोगकर्ता के लिए एक मुख्य डायरेक्टरी होती है, और उसके अंदर उपयोगकर्ता अपनी फ़ाइलें संग्रहीत कर सकते हैं, जिससे फ़ाइलों के प्रबंधन में सुविधा होती है।
  • हायरार्किकल डायरेक्टरी (Hierarchical Directory): यह संरचना फ़ाइलों और फ़ोल्डरों को एक पेड़ (tree) संरचना में व्यवस्थित करती है, जिससे फ़ाइलों की खोज और प्रबंधन अधिक प्रभावी होता है।
  • एसीक्लिक-ग्राफ डायरेक्टरी (Acyclic-Graph Directory): इसमें फ़ाइलें और फ़ोल्डर एक ग्राफ संरचना में व्यवस्थित होते हैं, जिससे फ़ाइलों को साझा (share) करना संभव होता है, लेकिन इससे जटिलता बढ़ सकती है।

डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन के तरीके

डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है, जिनमें प्रमुख हैं:

  • सिंगली लिंक्ड लिस्ट (Singly Linked List): इस विधि में फ़ाइल नामों की एक लिंक्ड लिस्ट बनाई जाती है, जहाँ प्रत्येक फ़ाइल का नाम और डेटा ब्लॉक के पते होते हैं। फ़ाइल खोजने के लिए लिस्ट में रैखिक खोज (linear search) करनी होती है, जो समय लेने वाली हो सकती है।
  • हैश टेबल (Hash Table): इस विधि में फ़ाइल नामों को हैश फ़ंक्शन के माध्यम से एक कुंजी (key) में परिवर्तित किया जाता है, जो डायरेक्टरी में फ़ाइलों की तेज़ खोज (fast search) में सहायता करती है।

डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन की विशेषताएँ

एक प्रभावी डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए:

  • तेज़ खोज (Fast Search): फ़ाइलों की तेज़ खोज के लिए उपयुक्त डेटा संरचना का चयन आवश्यक है।
  • फ़ाइलों की सुरक्षा (File Security): फ़ाइलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उचित अनुमतियाँ (permissions) और पहुँच नियंत्रण (access control) लागू करने चाहिए।
  • फ़ाइलों की अखंडता (File Integrity): फ़ाइलों की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए त्रुटि जाँच (error checking) और सुधार (correction) तंत्रों का उपयोग करना चाहिए।

डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन के लाभ

एक सुव्यवस्थित डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन के निम्नलिखित लाभ हैं:

  • फ़ाइलों की तेज़ खोज (Fast File Search): फ़ाइलों की तेज़ खोज के लिए उपयुक्त संरचना का चयन समय बचाने में सहायता करता है।
  • फ़ाइल प्रबंधन में सुविधा (Ease of File Management): फ़ाइलों और फ़ोल्डरों की सुव्यवस्थित संरचना प्रबंधन को सरल बनाती है।
  • फ़ाइल सुरक्षा (File Security): उचित अनुमतियाँ और पहुँच नियंत्रण फ़ाइलों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन के नुकसान

कुछ डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन में निम्नलिखित नुकसान हो सकते हैं:

  • प्रवेश समय में वृद्धि (Increased Access Time): कुछ संरचनाएँ फ़ाइलों की खोज में अधिक समय ले सकती हैं, जिससे प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है।
  • संसाधन उपयोग (Resource Utilization): कुछ विधियाँ अधिक मेमोरी या प्रोसेसिंग शक्ति का उपयोग कर सकती हैं, जो सिस्टम प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती हैं।
  • जटिलता (Complexity): कुछ संरचनाएँ जटिल होती हैं, जिससे उन्हें लागू और बनाए रखना कठिन हो सकता है।

Methods of Directory Implementation in Hindi

ऑपरेटिंग सिस्टम में, डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन फ़ाइलों के प्रबंधन और उनकी खोज को प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न विधियों का उपयोग करता है। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख तरीकों के बारे में:

1. सिंगली लिंक्ड लिस्ट (Singly Linked List)

इस विधि में, डायरेक्टरी में फ़ाइलों की एक लिंक्ड लिस्ट बनाई जाती है, जहाँ प्रत्येक फ़ाइल का नाम और डेटा ब्लॉक का पता संग्रहीत होता है। फ़ाइलों की खोज के लिए लिस्ट में रैखिक खोज (linear search) की जाती है, जो बड़ी डायरेक्टरी में समय लेने वाली हो सकती है।

2. हैश टेबल (Hash Table)

हैश टेबल का उपयोग फ़ाइलों की तेज़ खोज के लिए किया जाता है। इसमें, फ़ाइल नामों को हैश फ़ंक्शन के माध्यम से कुंजी (key) में बदला जाता है, जो डायरेक्टरी में फ़ाइलों की तेज़ खोज में सहायता करता है। हालांकि, हैश टेबल का आकार सामान्यतः स्थिर होता है, जिससे आकार संबंधी प्रतिबंध हो सकते हैं।

3. इंडेक्स्ड डायरेक्टरी (Indexed Directory)

इस विधि में, फ़ाइलों के लिए एक इंडेक्स टेबल बनाई जाती है, जिसमें फ़ाइल नामों और उनके संबंधित डेटा ब्लॉकों के पते होते हैं। यह विधि फ़ाइलों की तेज़ खोज और एक्सेस प्रदान करती है, लेकिन इंडेक्स टेबल के लिए अतिरिक्त मेमोरी की आवश्यकता होती है।

4. मल्टी-लेवल डायरेक्टरी (Multi-Level Directory)

मल्टी-लेवल डायरेक्टरी संरचना में, फ़ाइलों को एक से अधिक स्तरों में व्यवस्थित किया जाता है, जिससे फ़ाइलों की खोज और प्रबंधन अधिक सुविधाजनक होता है। यह विधि फ़ाइलों के तार्किक समूहण (logical grouping) को समर्थित करती है, लेकिन अधिक स्तर होने से खोज समय बढ़ सकता है।

5. एसीक्लिक-ग्राफ डायरेक्टरी (Acyclic-Graph Directory)

इस विधि में, फ़ाइलों और डायरेक्टरीज़ को एक ग्राफ संरचना में व्यवस्थित किया जाता है, जिससे फ़ाइलों को साझा (share) करना संभव होता है। हालांकि, इससे जटिलता बढ़ सकती है और फ़ाइलों की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त प्रबंधन की आवश्यकता होती है।

इन विभिन्न विधियों के माध्यम से, ऑपरेटिंग सिस्टम फ़ाइलों के प्रबंधन, खोज, और सुरक्षा को प्रभावी ढंग से संभालता है, जिससे सिस्टम की प्रदर्शन क्षमता में सुधार होता है।

Techniques of Directory Implementation in Hindi

ऑपरेटिंग सिस्टम में, फ़ाइलों और निर्देशिकाओं (directories) के प्रबंधन के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इन तकनीकों का उद्देश्य फ़ाइलों की तेज़ खोज, सुरक्षा, और प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित करना है। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख तकनीकों के बारे में:

1. डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन विद सिंगली लिंक्ड लिस्ट (Directory Implementation with Singly Linked List)

इस तकनीक में, फ़ाइलों की एक लिंक्ड लिस्ट बनाई जाती है, जहाँ प्रत्येक फ़ाइल का नाम और डेटा ब्लॉक का पता संग्रहीत होता है। फ़ाइलों की खोज के लिए रैखिक खोज (linear search) का उपयोग किया जाता है, जो छोटी निर्देशिकाओं के लिए उपयुक्त है।

2. डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन विद हैश टेबल (Directory Implementation with Hash Table)

इस विधि में, फ़ाइल नामों को हैश फ़ंक्शन के माध्यम से कुंजी (key) में बदला जाता है, जो फ़ाइलों की तेज़ खोज में सहायता करता है। हैश टेबल का आकार सामान्यतः स्थिर होता है, जिससे आकार संबंधी प्रतिबंध हो सकते हैं।

3. डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन विद इंडेक्स्ड डायरेक्टरी (Directory Implementation with Indexed Directory)

इस तकनीक में, फ़ाइलों के लिए एक इंडेक्स टेबल बनाई जाती है, जिसमें फ़ाइल नामों और उनके संबंधित डेटा ब्लॉकों के पते होते हैं। यह विधि फ़ाइलों की तेज़ खोज और एक्सेस प्रदान करती है, लेकिन इंडेक्स टेबल के लिए अतिरिक्त मेमोरी की आवश्यकता होती है।

4. डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन विद मल्टी-लेवल डायरेक्टरी (Directory Implementation with Multi-Level Directory)

मल्टी-लेवल डायरेक्टरी संरचना में, फ़ाइलों को एक से अधिक स्तरों में व्यवस्थित किया जाता है, जिससे फ़ाइलों की खोज और प्रबंधन अधिक सुविधाजनक होता है। यह विधि फ़ाइलों के तार्किक समूहण (logical grouping) को समर्थित करती है, लेकिन अधिक स्तर होने से खोज समय बढ़ सकता है।

5. डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन विद एसीक्लिक-ग्राफ डायरेक्टरी (Directory Implementation with Acyclic-Graph Directory)

इस तकनीक में, फ़ाइलों और डायरेक्टरीज़ को एक ग्राफ संरचना में व्यवस्थित किया जाता है, जिससे फ़ाइलों को साझा (share) करना संभव होता है। हालांकि, इससे जटिलता बढ़ सकती है और फ़ाइलों की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त प्रबंधन की आवश्यकता होती है।

इन तकनीकों के माध्यम से, ऑपरेटिंग सिस्टम फ़ाइलों के प्रबंधन, खोज, और सुरक्षा को प्रभावी ढंग से संभालता है, जिससे सिस्टम की प्रदर्शन क्षमता में सुधार होता है।

Features of Directory Implementation in Hindi

ऑपरेटिंग सिस्टम में, डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन फ़ाइलों के प्रबंधन, खोज, और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। विभिन्न डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन तकनीकों के माध्यम से, सिस्टम की प्रदर्शन क्षमता और विश्वसनीयता में सुधार किया जा सकता है। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख विशेषताओं के बारे में:

1. सिंगली लिंक्ड लिस्ट (Singly Linked List)

इस तकनीक में, डायरेक्टरी फ़ाइलों की एक लिंक्ड लिस्ट के रूप में व्यवस्थित होती है, जहाँ प्रत्येक फ़ाइल का नाम और डेटा ब्लॉक का पता संग्रहीत होता है।

  • सरलता: इसे प्रोग्राम करना आसान है।
  • धीमी खोज: रैखिक खोज के कारण बड़ी डायरेक्टरी में खोज समय अधिक लगता है।

2. हैश टेबल (Hash Table)

फ़ाइल नामों को हैश फ़ंक्शन के माध्यम से कुंजी में बदलकर, डायरेक्टरी में तेज़ खोज सुनिश्चित की जाती है।

  • तेज़ खोज: हैश फ़ंक्शन के माध्यम से खोज समय कम होता है।
  • आकार संबंधी प्रतिबंध: हैश टेबल का आकार सामान्यतः स्थिर होता है, जिससे आकार संबंधी प्रतिबंध हो सकते हैं।

3. इंडेक्स्ड डायरेक्टरी (Indexed Directory)

फ़ाइलों के लिए एक इंडेक्स टेबल बनाई जाती है, जिसमें फ़ाइल नामों और उनके संबंधित डेटा ब्लॉकों के पते होते हैं।

  • तेज़ खोज और एक्सेस: इंडेक्स टेबल के माध्यम से खोज और एक्सेस तेज़ होते हैं।
  • अतिरिक्त मेमोरी उपयोग: इंडेक्स टेबल के लिए अतिरिक्त मेमोरी की आवश्यकता होती है।

4. मल्टी-लेवल डायरेक्टरी (Multi-Level Directory)

फ़ाइलों को एक से अधिक स्तरों में व्यवस्थित किया जाता है, जिससे फ़ाइलों की खोज और प्रबंधन अधिक सुविधाजनक होता है।

  • फ़ाइलों का तार्किक समूहण: समान प्रकार की फ़ाइलों को एक समूह में रखा जा सकता है।
  • बढ़ा हुआ खोज समय: अधिक स्तर होने से खोज समय बढ़ सकता है।

5. एसीक्लिक-ग्राफ डायरेक्टरी (Acyclic-Graph Directory)

फ़ाइलों और डायरेक्टरीज़ को एक ग्राफ संरचना में व्यवस्थित किया जाता है, जिससे फ़ाइलों को साझा करना संभव होता है।

  • फ़ाइलों का साझा करना: फ़ाइलों को विभिन्न डायरेक्टरीज़ में साझा किया जा सकता है।
  • जटिलता और प्रबंधन: ग्राफ संरचना की जटिलता और फ़ाइलों की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त प्रबंधन की आवश्यकता होती है।

इन विशेषताओं के माध्यम से, ऑपरेटिंग सिस्टम फ़ाइलों के प्रबंधन, खोज, और सुरक्षा को प्रभावी ढंग से संभालता है, जिससे सिस्टम की प्रदर्शन क्षमता में सुधार होता है।

Advantages of Directory Implementation in Hindi

डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन ऑपरेटिंग सिस्टम में फ़ाइलों के प्रबंधन, खोज, और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विभिन्न डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन तकनीकों के माध्यम से, सिस्टम की प्रदर्शन क्षमता और विश्वसनीयता में सुधार किया जा सकता है। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख फ़ायदे:

1. तेज़ फ़ाइल खोज (Fast File Search)

उचित डायरेक्टरी संरचना के माध्यम से, फ़ाइलों की खोज तेज़ी से की जा सकती है, जिससे उपयोगकर्ताओं को आवश्यक डेटा जल्दी मिल जाता है।

2. बेहतर सुरक्षा (Enhanced Security)

डायरेक्टरी संरचनाएँ फ़ाइलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करती हैं, जिससे अनधिकृत पहुँच से बचाव होता है।

3. फ़ाइलों का तार्किक संगठन (Logical Organization of Files)

फ़ाइलों को एक सुव्यवस्थित डायरेक्टरी संरचना में संगठित करने से, उपयोगकर्ताओं के लिए फ़ाइलों को ढूँढ़ना और प्रबंधित करना आसान हो जाता है।

4. बैकअप और पुनर्प्राप्ति में सुविधा (Facilitates Backup and Recovery)

डायरेक्टरी संरचनाएँ फ़ाइलों के बैकअप और पुनर्प्राप्ति को सरल बनाती हैं, जिससे डेटा हानि की स्थिति में महत्वपूर्ण फ़ाइलों को जल्दी से पुनर्स्थापित किया जा सकता है।

5. स्केलेबिलिटी (Scalability)

डायरेक्टरी संरचनाएँ सिस्टम के बढ़ते डेटा को संभालने में सक्षम होती हैं, जिससे नए फ़ाइलों और फ़ोल्डरों को जोड़ना सरल होता है।

इन फ़ायदों के माध्यम से, ऑपरेटिंग सिस्टम फ़ाइलों के प्रबंधन, खोज, और सुरक्षा को प्रभावी ढंग से संभालता है, जिससे सिस्टम की प्रदर्शन क्षमता में सुधार होता है।

Disadvantages of Directory Implementation in Hindi

डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन ऑपरेटिंग सिस्टम में फ़ाइलों के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं। आइए जानते हैं:

1. खोज में देरी (Delayed Search)

लिनियर लिस्ट जैसी संरचनाओं में फ़ाइल खोजने के लिए रैखिक खोज (linear search) करनी पड़ती है, जिससे खोज समय बढ़ सकता है।

2. अतिरिक्त मेमोरी उपयोग (Additional Memory Usage)

कुछ डायरेक्टरी संरचनाएँ, जैसे हैश टेबल, अतिरिक्त मेमोरी का उपयोग करती हैं, जो सीमित संसाधनों वाले सिस्टम में समस्या उत्पन्न कर सकती हैं।

3. जटिलता (Complexity)

मल्टी-लेवल डायरेक्टरी या एसीक्लिक-ग्राफ डायरेक्टरी जैसी संरचनाएँ अधिक जटिल होती हैं, जिन्हें प्रबंधित और बनाए रखना कठिन हो सकता है।

4. टेबल आकार की सीमाएँ (Table Size Limitations)

हैश टेबल का आकार सामान्यतः स्थिर होता है, जिससे बड़े पैमाने पर फ़ाइलों के लिए यह पर्याप्त नहीं हो सकता है।

5. कोलिज़न की समस्या (Collision Issues)

हैश टेबल में, दो फ़ाइल नामों का एक ही हैश मान प्राप्त होने पर कोलिज़न होती है, जिसे संभालना अतिरिक्त जटिलता जोड़ता है।

इन नुकसानों को ध्यान में रखते हुए, ऑपरेटिंग सिस्टम फ़ाइलों के प्रबंधन के लिए उपयुक्त डायरेक्टरी संरचना का चयन करता है, जो सिस्टम की आवश्यकताओं और संसाधनों के अनुसार संतुलित हो।

FAQs

Directory Implementation refers to the methods used by operating systems to manage and organize files within directories. Common techniques include using linear lists and hash tables to store and retrieve file information efficiently. (डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन उस तरीके को कहते हैं जिसका उपयोग ऑपरेटिंग सिस्टम फ़ाइलों को डायरेक्टरी में प्रबंधित और व्यवस्थित करने के लिए करते हैं। सामान्य तकनीकों में फ़ाइल जानकारी को कुशलतापूर्वक संग्रहीत और पुनः प्राप्त करने के लिए लीनियर लिस्ट और हैश टेबल का उपयोग शामिल है।)

Hash tables offer faster search times compared to linear lists by using a hash function to map file names to specific locations, reducing the need to search through the entire directory. (हैश टेबल फ़ाइल नामों को विशिष्ट स्थानों पर मानचित्रित करने के लिए हैश फ़ंक्शन का उपयोग करके लीनियर सूचियों की तुलना में तेज़ खोज समय प्रदान करते हैं, जिससे पूरी डायरेक्टरी में खोजने की आवश्यकता कम होती है।)

The primary disadvantage of using a linked list is the slower search time, as it requires traversing each element sequentially to find a specific file. (लिंक्ड लिस्ट का उपयोग करने का मुख्य नुकसान धीमी खोज समय है, क्योंकि इसमें एक विशिष्ट फ़ाइल खोजने के लिए प्रत्येक तत्व को अनुक्रमिक रूप से पार करना पड़ता है।)

The method of directory implementation directly impacts system performance by influencing the speed of file searches, creation, and deletion operations. Efficient implementations like hash tables can enhance performance, while less efficient methods may slow down these operations. (डायरेक्टरी इम्प्लीमेंटेशन की विधि सीधे सिस्टम प्रदर्शन को प्रभावित करती है, क्योंकि यह फ़ाइल खोज, निर्माण और हटाने की संचालन की गति को प्रभावित करती है। हैश टेबल जैसी कुशल इम्प्लीमेंटेशन प्रदर्शन को बढ़ा सकती हैं, जबकि कम कुशल तरीके इन संचालन को धीमा कर सकते हैं।)

Yes, combining methods like using a hash table with a linked list can leverage the strengths of both, such as fast search times and efficient insertion and deletion operations, to improve overall directory performance. (हाँ, हैश टेबल को लिंक्ड लिस्ट के साथ मिलाना जैसे तरीके दोनों की ताकत का उपयोग कर सकते हैं, जैसे तेज़ खोज समय और कुशल समावेशन और हटाने की संचालन, जिससे समग्र डायरेक्टरी प्रदर्शन में सुधार होता है।)

Factors include the expected number of files, frequency of file operations, system resources, and performance requirements. For instance, systems with a large number of files may benefit from hash table implementations, while simpler systems might use linear lists. (कारकों में फ़ाइलों की अपेक्षित संख्या, फ़ाइल संचालन की आवृत्ति, सिस्टम संसाधन, और प्रदर्शन आवश्यकताएँ शामिल हैं। उदाहरण के लिए, फ़ाइलों की बड़ी संख्या वाले सिस्टम हैश टेबल इम्प्लीमेंटेशन से लाभ उठा सकते हैं, जबकि सरल सिस्टम लीनियर लिस्ट का उपयोग कर सकते हैं।)

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